कोरोना से बिगड़े हालात , एक बेड पर दो-दो मरीज किसी को स्ट्रेचर पर, तो किसी को व्हीलचेयर पर ऑक्सीजन

कोरोना से बिगड़े हालात , एक बेड पर दो-दो मरीज किसी को स्ट्रेचर पर, तो किसी को व्हीलचेयर पर ऑक्सीजन

Anita Peddulwar
Update: 2021-04-09 07:05 GMT
कोरोना से बिगड़े हालात , एक बेड पर दो-दो मरीज किसी को स्ट्रेचर पर, तो किसी को व्हीलचेयर पर ऑक्सीजन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बेकाबू कोराेना ने सरकारी सिस्टम को भी हिलाकर रख दिया है। अचानक आई मरीजों की बाढ़ में सारी व्यवस्थाएं डूबती नजर आ रही हैं। बावजूद इसके 
मेडिकल अस्पताल के स्टाफ ने हार नहीं मानी है। यहां आने वाले ज्यादा से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा रहा है। अगर यहां के स्टाफ तत्परता न दिखाएं तो न जाने कितनी जानें सड़कों पर ही चली जाएंगी। निजी अस्पतालों में इलाज सबके बस की बात नहीं। दैनिक भास्कर ने गुरुवार की शाम करीब साढ़े छह बजे मेडिकल अस्पताल का जायजा लिया। कैजुअल्टी में एक-एक बेड पर 2-2 मरीज पड़े थे। किसी को स्ट्रेचर तो किसी को व्हीलचेयर पर ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। डॉक्टरों ने पूरी ताकत झोंक रखी थी। उन्हें सांस लेने तक की फुर्सत नहीं। जो भी संसाधन उपलब्ध हैं, उनमें बेहतर सेवाएं देने का प्रयास कर रहे थे। दरअसल, संक्रमण ने गांव में भी तेजी से पैर पसारे हैं। निजी अस्पतालों में मची लूट की बात किसी से छुपी नहीं है। इसकी वजह से शहर के सरकारी अस्पतालों में ग्रामीण मरीजों का भी लोड बढ़ने लगा है। उधर, कैजुअल्टी में अाने वाले गंभीर मरीजों का भी कोविड जांच के लिए सैंपल लिया जाता है।

सारे बेड फुल
 मेडिकल अस्पताल की कैजुअल्टी में 17 बेड उपलब्ध हैं। पूरे वार्ड में 8 बेड पर दो-दो मरीज रखे गए थे। साथ ही एक मरीज को स्ट्रेचर पर ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा रहा था। एक अन्य महिला मरीज को व्हीलचेयर पर ऑक्सीजन दी जा रही थी। सप्लाई से 3-3 मरीजों को ऑक्सीजन दी जा रही थी। वार्ड में करीब 30 मरीज भर्ती थे। वहां के सारे बेड फुल थे।

महाराष्ट्र ही नहीं, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से भी आते हैं मरीज
हमारे अस्पताल में वर्धा, गड़चिरोली, भंडारा, यवतमाल सहित महाराष्ट्र के कई जिलों से मरीज आते हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के भी मरीज आते हैं। मेडिकल ही एकमात्र विकल्प रहता है। इसलिए हमें सभी लोगों का इलाज करना ही है। कोई भी मरीज़ आता है तो हम पंजीकरण से पहले ही इलाज शुरू कर देते हैं। कोविड में ऑक्सीजन की ज्यादा जरूरत पड़ती है। इसलिए सबसे पहले किसी तरह ऑक्सीजन लगाते हैं।
-डॉ. अविनाश गावंडे, अधीक्षक, शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल

शाम 4 बजे आया मेडिकल 
मुझे सांस लेने में तकलीफ हुई, तो शाम 4 बजे के करीब मेडिकल अस्पताल परिजन ले आए। आते ही जांच की गई और ऑक्सीजन लगाई। अगर यहां इलाज नहीं मिलता तो बचना मुश्किल था। -सचिन

बेड नहीं है, फिर भी डॉक्टरों ने किया इलाज
योगेश्वर नगर का रहने वाला हूं। सुबह करीब 11 बजे मेडिकल कैजुअल्टी में आया था। सांस लेने में तकलीफ हो रही थी और कफ की समस्या हो रही थी। डॉक्टरों ने बताया कि भर्ती करना पड़ेगा। सुबह 11 बजे से शाम करीब 6.30 बजे तक बेड नहीं मिल पाया है। आते-आते डॉक्टरों ने देख जरूर लिया था। इसलिए राहत है।
-अरुण निमजे

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