महाराष्ट्र : कपास किसानों को पूरा मुआवजा मिलना मुश्किल
महाराष्ट्र : कपास किसानों को पूरा मुआवजा मिलना मुश्किल
डिजिटल डेस्क, मुंबई। कपास की फसल को सफेद इल्ली से हुए नुकसान के मामले में राज्य सरकार ने प्रति हेक्टेयर 30 हजार 800 रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया है लेकिन कृषि विभाग के अधिकारी और विशेषज्ञ इसे आंखों में धूल झोंकने जैसा बता रहे हैं। जानकारों के मुताबिक कपास उत्पादकों को घोषित मुआवजे का आधा भी मिल पाना मुश्किल है। नागपुर में हुए शीतसत्र के दौरान कपास की फसल को हुए भारी नुकसान के मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ था।
जिसके बाद नागपुर में केंद्रीय कृषिमंत्री राधामोहन सिंह के साथ मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य के कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर की बैठक के बाद आपदा प्रभावित किसानों के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया गया था। सरकार के अनुमान के मुताबिक 20 जिलों की 41 लाख हेक्टेयर कपास की फसल में से 34.39 लाख हेक्टेयर सफेद इल्ली से प्रभावित हुई है। राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन कोष (एनडीआरएफ) के तहत केंद्र सरकार से 2430 करोड़ की मदद मांगी है लेकिन केंद्र सरकार ने कभी भी 100 फीसदी मांग पूरी नहीं की है। अगर ऐसा हुआ तो राज्य सरकार किसानों को घोषित मुआवजे की पूरी रकम नहीं दे पाएगी।
मुश्किल है बीज कंपनियों से वसूली
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक किसानों को फसल बीमा के तहत भी आठ हजार रुपए प्रति हेक्टेयर देने का ऐलान किया गया है लेकिन ज्यादातर किसानों को यह रकम भी मिलनी मुश्किल है क्योंकि बीमें की रकम देने का प्रावधान तभी है जब किसानों की 30 फीसदी से ज्यादा फसल खराब हो। लेकिन ज्यादातर किसानों की उपज 70 फीसदी से ज्यादा रही है।
इसी तरह फसल खराब होने पर बीज कंपनियों से महाराष्ट्र कपास बीज कानून 2009 के तहत फसल खराब होने के लिए जिम्मेदार ठहराकर उनसे मुआवजा वसूलना भी मुश्किल है। इससे पहले तकनीकी आधार पर 2015 में मांगे गए 1.51 करोड़ और 34 लाख को कंपनियों की ओर से अदालतों में चुनौती दिया गया है। इस बार मुआवजे की मांग और ज्यादा है और कंपनियां इसे स्वीकार करेंगी यह कहना मुश्किल है। इस साल किसानों को एक करोड़ क्विंटल से ज्यादा कपास का नुकसान हुआ है। मुआवजे के लिए 10 लाख अर्जियां मिलीं हैं।