देश की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी का सम्मान, बोलीं- पैरेंट्स रिस्क नहीं लेते, तो नहीं देख पाती खूबसूरत दुनियां

देश की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी का सम्मान, बोलीं- पैरेंट्स रिस्क नहीं लेते, तो नहीं देख पाती खूबसूरत दुनियां

Tejinder Singh
Update: 2018-10-07 15:03 GMT
देश की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी का सम्मान, बोलीं- पैरेंट्स रिस्क नहीं लेते, तो नहीं देख पाती खूबसूरत दुनियां

डिजिटल डेस्क, पुणे। देश की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी कनुप्रिया अग्रवाल और उसके जन्म को लेकर अनुसंधासन कर उल्लेखनीय कार्य करनेवाले डॉ. सुभाष मुखर्जी का सम्मान किया गया। कनुप्रिया अग्रवाल अब 40 साल की हो गई हैं। इस अवसर पर केक काटकर जन्मदिन मनाया गया। कनुप्रिया ने भी दिल खोलकर लोगों से बातचीत की। 

डॉ. खुर्द फर्टिलिटी, आईवीएफ सेंटर और लायन्स क्लब की ओर से आयोजित टेस्ट ट्यूब बेबी - शंका और अशंका इस कार्यक्रम में अग्रवाल के 40 वे जन्मदिन के अवसर पर सम्मानित किया गया। इस समय कनुप्रिया के जन्म को लेकर रिसर्च में महत्वपूर्ण योगदान देनेवाले डॉ. सुभाष मुखर्जी सहित एंब्रियोलॉजिस्ट का कार्य देखनेवाले डॉ. सुनीत कुमार मुखर्जी, महापौर मुक्ता टिलक और डॉक्टर उपस्थित थे।

इस मौके पर कनुप्रिया ने कहा कि डॉ. सुभाष मुखर्जी ने आईवीएफ तकनीक विकसित करने के लिए जो योगदान दिया है, उसकी वजह से आज मेरा जन्म हो सका है। इस रिसर्ज के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए डॉ. मुखर्जी को नहीं तो एक विदेशी वैज्ञानिक का नाम निश्चित किया गया है। 

डॉ. मुखर्जी और मेरे माता पिता ने यह खतरा मोल नहीं लिया होता तो मैं आज यह सुंदर दुनिया नहीं देख पाती थी। इसलिए रिसर्च करने के लिए अनेक युवा वैज्ञानिकों को आगे आना चाहिए। सफलता व असफलता का विचार नहीं करते हुए रिसर्च में खतरे उठाने की आवश्यकता है। मैं विश्व में खुद को सबसे भाग्यशाली व्यक्ति समझती हूं। मुझे आप सभी से काफी प्यार मिला है, जिसकी तुलना में कर ही नहीं सकती हूं। सिर्फ फर्क इतना है कि मैं अपनी उम्र छुपा नहीं सकती हूं। बस इतना मेरे मन मुताबिक नहीं हो सका। कनुप्रिया के इस वाक्य से सभागृह में ठहाके की गूंजने लगे थे।

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