प्रतिदिन हाईकोर्ट पहुंच रहे कोरोना से जुड़े अदालती मामले

प्रतिदिन हाईकोर्ट पहुंच रहे कोरोना से जुड़े अदालती मामले

Anita Peddulwar
Update: 2020-04-01 10:57 GMT
प्रतिदिन हाईकोर्ट पहुंच रहे कोरोना से जुड़े अदालती मामले

डिजिटल डेस्क,मुंबई। कोरोना के प्रकोप के बीच भी बॉम्बे हाईकोर्ट के दरवाजे जरूरी मामलों की सुनवाई के लिए तो खुले हैं पर इस विश्वव्यापी प्रकोप का अदालती कामकाज पर व्यापक असर हुआ है। फिलहाल हाईकोर्ट में कोरोना के कारण परेशानी में फंसे लोगों के मामले, आरोपियों को अपने करीबी परिजन के अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति देने, महिलाओं के गुजारेभत्ते, कोरोना के कारण आशियाना तलाश करने में आ रही कठिनाई, एचआईवी बाधित लोगों को जीवनावश्यक दवा जिले में ही उपलब्ध कराने, कोरोना से निपटने के लिए सरकारी संस्थान को निधी उपलब्ध कराने, जिन अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का इलाज चल रहा है उन्हें समुचित सुविधाए देने व स्वच्छता पर जोर देने, अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाने, नीलामी से जुड़े निर्णय को स्थगित करने, जेल में बंद कैदियों को रिहा करने, आरोपियों के जमानत आवेदन, बस्तियों व झोपड़पट्टी इलाकों में रह रहे लोगों को शौचालय की पर्याप्त सुविधा व पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने, जीवनयापन के लिए संघर्ष कर रहे मजदूरों के लिए भोजन का इंतजाम करने की मांग को लेकर आवेदन व याचिकाएं सुनवाई के लिए आ रही हैं। इसके अलावा संविदा, संपत्ति व जमीन से जुड़े मामले भी कोर्ट में आ रहे हैं।

वरिष्ठ वकील की नजर में कम है न्यायिक सक्रियता
हाईकोर्ट प्रशासन के मुताबिक सामान्य दिनों के मुकाबले इन दिनों अदालत में काफी कम याचिकाएं आ रही है क्योंकि मुख्य न्यायाधीश ने कोरोना की वजह से कामकाज को काफी सीमित कर लिया है पर जरूरी मामलों पर तत्काल सुनवाई की व्यवस्था जारी रखी है। इसके साथ ही लोगों को ई-फाइलिंग व वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। मानवाधिकार व श्रमिकों से जुड़े मामलों की जानकर वरिष्ठ अधिवक्ता गायत्री सिंह का कहना है कि कोरोना के कारण तालेबंदी जारी है। राज्य स्वास्थ्य से जुड़ी आपदा से जूझ रहा है फिर भी हाईकोर्ट में संपत्ति, जमीन व संविदा जैसे मामलों को ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है।

कोरोना के दौरान जैसी न्यायिक सक्रियता केरला, कर्नाटक व गुजरात हाईकोर्ट में नजर आ रही है वैसा यहां नहीं दिखाई दे रहा है। दूसरे हाईकोर्ट में कई विषयों का स्वयं संज्ञान लिया गया है लेकिन बॉम्बे हाईकोर्ट में इसका अभाव दिखता है। किसानों, झोपड़पट्टी में रहनेवालों, निर्वासित मजदूरों सहित कई मामलों में संवेदनशीलता दिखाते हुए बांबे हाईकोर्ट से स्वयं संज्ञान लेने की अपेक्षा थी। उन्होंने कहा कि कोर्ट को अपनी असीम शक्ति का उपयोग जीवन की रक्षा के लिए करना चाहिए ।

इस वक्त आपात सेवाकी ही जरुरतः अणे 
राज्य के पूर्व महाधिवक्ता व जाने माने वकील श्रीहरि अणे का कहना है की इस समय जीवन से जुड़ा विषय सबसे महत्वपूर्ण है। हाईकोर्ट हर विषय की व्यापकता को देखते हुए जरूरी याचिकाओं पर फौरन सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने अपनी आपात सेवा जारी रखी है। फिलहाल कोर्ट के कार्य का स्वरूप सही है। कोरोना का असर दूसरे निकायों  तरह न्यायपालिका पर भी पड़ना स्वभाविक है।

इससे कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या बढेगी पर वर्तमान में गैर जरूरी मामलों की सुनवाई टालने में कुछ भी अनुचित नहीं है। क्योंकि मौजूदा समय मे प्राथमिकता मानव जीवन की सुरक्षा है। जबकि पूर्व एडीशनल सालिसिटर जनरल राजेंद्र रघुवंशी का कहना है कि इश समय अदालत के हस्तक्षेप से ज्यादा प्रशासन का प्रभावी ढंग से काम करना जरुरी है। अधिवक्ता क्रांति के अनुसार सरकार की जनकल्याण की योजनाएं तो बहुत है लेकिन उन पर अमल कितना होता है, सबको पता है। इसलिए कोरोना के चलते पैदा हुई स्वास्थ्य आपदा से निपटने के लिए कोर्ट का जनसुलभ होना आज के समय की जरूरत है। क्योंकि आवश्यक सेवा में लगे लोगों को भी जरुरी सुरक्षा कवच नहीं मिल रहा है। 
    


 

Tags:    

Similar News