मेयर बंगले को ठाकरे स्मारक बनाने पर हाईकोर्ट को ऐतराज

मेयर बंगले को ठाकरे स्मारक बनाने पर हाईकोर्ट को ऐतराज

Tejinder Singh
Update: 2017-11-27 14:05 GMT
मेयर बंगले को ठाकरे स्मारक बनाने पर हाईकोर्ट को ऐतराज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे स्मारक के लिए मुंबई मेयर का बंगला देने के फैसले पर सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट ने जानना चाहा कि क्या एक रुपए की सालाना लीज पर मेयर बंगले की जगह दी जा सकती है? आखिर ऐसी क्या परिस्थिति बनी कि स्मारक के लिए बंगला देना पड़ा। न्यायमूर्ति नरेश पाटिल और न्यायमूर्ति राजेश केतकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार और मुंबई महानगरपालिका को इस मुद्दे पर दो सप्ताह के भीतर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। स्मारक के मुद्दे पर हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई। एक याचिका सामाजिक कार्यकर्ता भगवानजी रयानी ने दायर की, जबकि दूसरी याचिका एक गैर सरकारी संस्था ने दायर की है।

सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का दिया गया हवाला

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रदीप हवनूर ने सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फैसला का हवाला देते हुए कहा कि स्मारक के लिए किसी भी सरकारी आवास का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। ऐसे में ऐतिहासिक महत्व रखने वाले मेयर बंगले को स्मारक के लिए सिर्फ एक रुपए की लीज पर कैसे दिया जा सकता है। मुंबई मनपा के स्मारक के लिए मेयर बंगले को देने का निर्णय सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। अन्य याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता उदय वारुंजकर ने कहा कि वे मेमोरियल निर्माण के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इसके लिए सरकारी निधी का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार ने स्मारक के निर्माण के लिए पहले अध्यादेश लाया था। जिसे बाद में कानून में परिवर्तित कर दिया गया। अब सीआरडेट मंजूरी हासिल करने की प्रक्रिया जारी है। इसलिए उन्हें अपनी याचिका में जरुरी बदलाव करने की अनुमति दी जाए। 

सरकार देना चाहती है जवाब, लेकिन मांगा वक्त

अतिरिक्त सरकारी वकील गीता शास्त्री ने कहा कि सरकार ने इस मामले की पैरवी करे। इसके लिए वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे को नियुक्त किया है। इसके अलावा सरकार इस मामले में अपना जवाब भी देना चाहती है। इसलिए थोड़ा वक्त दिया जाए। मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कि आखिर ऐसी कौन सी परिस्थिति बनी कि स्मारक के लिए मेयर बंगले की जगह देनी पड़ी। क्या यह बंगला एक रुपए की सालाना दिया जा सकता है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 11 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। 

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