अमरावती में कर्फ्यू, आदिवासियों से झड़प में  20 पुलिसकर्मी घायल

अमरावती में कर्फ्यू, आदिवासियों से झड़प में  20 पुलिसकर्मी घायल

Anita Peddulwar
Update: 2019-01-23 05:17 GMT
अमरावती में कर्फ्यू, आदिवासियों से झड़प में  20 पुलिसकर्मी घायल

डिजिटल डेस्क,अमरावती। चिखलदरा पुलिस स्टेशन अंतर्गत गुल्लरघाट में आदिवासियों से हुई झड़प में पुलिस व वन विभाग के 20 कर्मी घायल हो गए। तनाव को देखते हुए क्षेत्र में धारा 144 व कर्फ्यू लगा दिया गया है। बता दें कि अमरावती जिले के गुल्लरघाट क्षेत्र में आदिवासियों का पुनर्वसन किया गया है। जिसके चलते चिखलदरा तहसील के 8 ग्रामीण इलाकों के आदिवासी परिवार गुल्लरघाट जंगल क्षेत्र में बीते 15 जनवरी से डेरा जमाए बैठे हैं। मंगलवार को यहां विवाद के बाद आदिवासी, पुलिस तथा वनकर्मियों से भिड़ गए। पुनर्वसित आदिवासियों ने इन कर्मियों पर पथराव कर दिया।

अचानक हमले से पुलिस भी घबराई

अचानक हुए हमले से घबराए पुलिसकर्मियों ने भी जवाब में आदिवासियों पर लाठियां बरसाईं। जिससे 10-15 आदिवासियों के घायल होने की भी खबर है। घायलों को अकोट के ग्रामीण अस्पताल में भर्ती किया गया है। स्थिति से निपटने के लिए अमरावती से अतिरिक्त पुलिस बल घटनास्थल पर पहुंच गया। पुलिस व वनविभाग के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे। तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए गुल्लरघाट क्षेत्र में धारा 144 व कर्फ्यू लगा दिया गया। 

8 गांव के आदिवासी डाले हुए हैं डेरा 

ज्ञात हो कि चिखलदरा तहसील क्षेत्र में केलापानी, गुल्लरघाट समेत 8 गांवों के आदिवासी परिवार के साथ बुल्लरघाट जंगल में डेरा डाले हुए हैं। इन आदिवासी नागरिकों को जंगल से बाहर निकालने के लिए वनविभाग ने पुलिस व एसआरपीएफ जवानों की मदद ली है। केलापानी, बुल्लरघाट, अमोना, धारगढ समेत 8 गांवों के नागरिकों का  विगत चार से पांच साल पहले अकोट तहसील के तेल्हारा गांव समीप पुनर्वास किया गया था। उस समय इन लोगों को आश्वासन दिया गया था कि पुनर्वास क्षेत्र में उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी। इतनाही नहीं तो जमीन व रुपए भी दिए जाएंगे। लेकिन राज्य सरकार की ओर से आदिवासी परिवारों को किसी तरह की सुविधाएं पुनर्वास क्षेत्र में उपलब्ध नहीं कराई गई। जिसके बाद आदिवासी मेलघाट के अमोना, बारुखेडा, धारगढ, सोमठाणा, सोमठाणा खुर्द, गुल्लर घाट, केलपानी, नागरतास इन ग्रामीण क्षेत्रों में विगत 15 जनवरी को वापस लौटे। जब से आदिवासी अपने ग्रामीण क्षेत्र में लौटे हैं, तब से ही यहां का माहौल पूरी तरह से तनाव पूर्ण हो गया है। यह परिसर सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस छावणी में तब्दील हो गया है।  आदिवासी अपनी मांगों पर अब भी डटे हुए हैं। पुलिस व वनविभाग प्रशासन की ओर से आदिवासियों को समझाकर उन्हें जंगल से बाहर निकालने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है।
 

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