मेट्रो को लग रहा प्रतिदिन 4 लाख लीटर पानी

मेट्रो को लग रहा प्रतिदिन 4 लाख लीटर पानी

Anita Peddulwar
Update: 2019-05-18 10:41 GMT
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डिजिटल डेस्क, नागपुर । एक ओर जहां शहर के कई इलाके पानी के लिए तरस रहे हैं, वहीं दूसरी ओर शहर में हो रहे निर्माणकार्य में लाखों लीटर पानी लग रहा है। जिसमें महामेट्रो को ही प्रतिदिन 4 लाख लीटर पानी लग रहा है। हालांकि प्रशासन की ओर से पानी बचाने को लेकर कई तरह की उपाय योजना भी अपनाई गई हैं। 

निर्माण कार्य में लग रहा पानी
अप्रैल माह के खत्म होते ही धूप ने अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। सभी तालाब सूखने की कगार पर पहुंच गए हैं। पीने के पानी की तो शहर के कई इलाकों में किल्लत की स्थिति भी आ रही है। लेकिन शहर में अभी कई जगह पर चल रहे निर्माणकार्य में लाखों लीटर पानी की खपत हो रही है, जिसमें महामेट्रो का भी समावेश है। मेट्रो के निर्माण की बात करें तो शहर में चल रहे कार्य के लिए मेट्रो पानी बचाने के सभी तरीके आजमा रही है, बावजूद इसके प्रति दिन चार लाख लीटर पानी निर्माणकार्य में लग रहा है। जिसे प्राइवेट टैंकर की सहायता से बोरवेल से लिया जा रहा है। 

सीमेंट वर्क में सबसे ज्यादा पानी की खपत को देखते हुए बचत के लिए नमी बरकरार रखने हेशियन क्लॉथ बैग लगाए जा रहे हैं। इससे पानी की बर्बादी नहीं होती, वहीं कम पानी में अधिक समय तक नमी बरकरार रहती है।  निर्माण में भी विशेष रसायन का उपयोग किया जा रहा है। जिससे  क्यूरिंग के दौरान पानी वेस्ट नहीं होता है। इसी तरह सेडिमेंटेशन टैंक के माध्यम से सेगमेंट यार्ड में पानी की बचत के लिए कैमिकल का उपयोग किया जा रहा है। क्यूरिंग करने के लिए ताजे पानी की आवश्यकता होती है। सेडिमेंटेशन टैंक में रसायनिक उपयोग होने से ताजे पानी की जरूरत नहीं होती है। और क्यूरिंग का काम आसानी से हो जाता है। यार्ड में इस पद्धति से प्रतिदिन 25-30 प्रतिशत से अधिक बचत की जाती है। कास्टिंग यार्ड और अन्य मेट्रो कामगार कॉलोनी में करीब 400 लोग रहते हैं। बायोडायजेस्टर पद्धति लागू होने से निस्तार के लिए लगने वाला पानी भी कम उपयोग हो रहा है। वॉटर रीसाइक्लिंग के चलते 15-20 प्रतिशत शुद्ध पानी की बचत हो रही है।
 

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