केरल बाढ़ त्रासदी : भीगकर लुगदी बनी किताबें, दैनिक भास्कर ने बढ़ाए मदद के हाथ

केरल बाढ़ त्रासदी : भीगकर लुगदी बनी किताबें, दैनिक भास्कर ने बढ़ाए मदद के हाथ

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-21 06:01 GMT
केरल बाढ़ त्रासदी : भीगकर लुगदी बनी किताबें, दैनिक भास्कर ने बढ़ाए मदद के हाथ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। केरल बाढ़ त्रासदी ने न केवल राज्य के आम जनजीवन को प्रभावित किया है, बल्कि इससे हजारों  स्टूडेंट्स का भविष्य भी दांव पर लग गया है। केरल के कालड़ी स्थित श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग पर बाढ़ का इतना बुरा असर पड़ा है कि यहां के पाठ्यक्रम, रिसर्च और अन्य सामग्रियों के साथ-साथ एेतिहासिक महत्व की किताबें, जर्नल और पत्रिकाएं भीग कर लुगदी बन चुकी हैं, जिससे अध्ययन और अध्यापकन के लिए किताबें ही नहीं बची हैं। बाढ़ से यूनिवर्सिटी को करीब 10 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।  एमए हिंदी आैर पीएचडी स्कॉलर्स का सबसे बड़ा नुकसान हुआ है। शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है, सेमेस्टर की एग्जाम्स सिर पर हैं। ऐसे में किताबें नहीं होने से न केवल स्टूडेंट्स के भविष्य पर, बल्कि हिंदी विभाग के अस्तित्व पर ही संकट आ गया है। 

हमारे शहर में जागी आशा की किरण
हिंदी विभाग और यहां के टीचर्स, स्टूडेंट्स पर छाए शैक्षणिक संकट के काले बादलों का अंधेरा दूर करने के लिए नागपुर शहर में एक आशा की किरण जागी है। शहर के शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी हस्तियों ने श्री शंकराचार्य संस्कृत यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग को उनके पाठ्यक्रम से संबंधित किताबें और साहित्य भेंट करने का निर्णय लिया है। दैनिक भास्कर भी इस उपक्रम का खुले दिल से सहयोग कर रहा है। इस प्रयास में आप भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेकर अपना दायित्व निभा सकते हैं। 

मदद के लिए हाथ बढ़ाइए
विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग को मदद की जरूरत है। अगर आपके पास एमए हिंदी पोस्ट ग्रेजुएशन, एमफिल, पीएचडी की पढ़ाई से जुड़ा साहित्य है, तो हिंदी विभाग तक उसे पहुंचाइए। विभाग प्रमुख डॉ. शांति नायर के ई-मेल आईडी shantinairkerla@gmail.com पर आप उनसे संपर्क कर सकते हैं। आप किताबों को हिंदी विभाग, श्री शंकराचार्य यूनिवर्सिटी ऑफ संस्कृत, कालड़ी, केरल (पिन कोड.683574) के पते पर भेज सकते हैं। अगर आपके पास पाठ्यक्रम से जुड़ा शैक्षणिक साहित्य है, परंतु आप उसे किसी कारणवश कालड़ी नहीं भेज सकते हैं, तो नागपुर में कुछ केंद्रों पर आप किताबें पहुंचा सकते हैं।  आप यह सामग्री दैनिक भास्कर कार्यालय ग्रेट नाग रोड, नागपुर पॉपुलर बुक शॉप हिल टॉप लॉज के नीचे सीताबर्डी, वेस्टर्न बुक डिपो रेजिडेंसी रोड सदर, कोठारी ऑटोमोबाइल्स लक्ष्मीभवन चौक गोकुलपेठ मार्केट, क्रॉसवर्ड फर्स्ट फ्लोर जायका बिल्डिंग कमर्शियल रोड सिविल लाइंस, फ्रोजन स्कूप (टॉप एंड टाउन आइसक्रीम पार्लर) सिल्वर स्प्रिंग यूको बैंक के पास मनीष नगर तक पहुंचा सकते हैं। यहां से सामग्री कालड़ी भेजी जाएगी। आप जब हिंदी विभाग में ये किताबें भेजें, तो पार्सल पर किताबों की सूची जरूर लिखें, ताकि सही किताब जरूरतमंद तक पहुंच सके। अापका एक अभिनव प्रयास कई स्टूडेंट्स और शोधार्थियों का भविष्य बचा सकता है।

इन किताबों की जरूरत है
यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग की प्रथम और तीसरे सेमेस्टर की परीक्षाएं सिर पर हैं, इसके बाद दूसरे और चौथे सेमेस्टर की एग्जाम्स होंगी। इसी तरह हिंदी के अन्य पाठ्यक्रमों और पीएचडी संशोधकों को भी अपनी पढ़ाई से जुड़ी किताबों की जरूरत है। एमए हिंदी के लिए हिंदी साहित्य का इतिहास, प्रारूप, मध्ययुगीन कविताएं, हिंदी नाटक, कहानियां, उपन्यास, आधुनिक कविताएं जैसे विषयों की कितबों की और पीएचडी और एम.फिल के लिए शोध पत्रिकाओं से लेकर शोध सामग्री की जरूरत है। इसी तरह विभाग को ‘वे लौटेंगे फिर, एक युग के बाद, माटी की गुड़िया, धरती का अधखिला फूल, अब और नहीं, मैं शंख वो महा शंख’ जैसी ढ़ेरों पुस्तकें, उपन्यास और रचनाओं की जरूरत है।

भास्कर कार्यालय में हुई बैठक
इस उपक्रम से जुड़ी एक बैठक दैनिक भास्कर कार्यालय में हुई। इसमें साहित्यकार डॉ. सागर खादीवाला, नागपुर यूनिवर्सिटी हिंदी विभाग प्रमुख डॉ. प्रमोद शर्मा, शिक्षक डॉ. संतोश गिर्हे, हिस्लॉप कॉलेज के मनोहर कुमार, तायवाडे कॉलेज कोराडी के डॉ. गजानन पोलेनवार, एलएडी कॉलेज से परिवर्तिका अंबादे, लोहिया अध्ययन केंद्र से  हरीश अड्यालकर, प्रकाशक वर्ग से कर्मवीर बुक डिपो से मधुसूदन बिंझाणी, यूनिवर्सल बुक सर्विस से दत्ता भालेराव, वेस्टर्न बुक डिपो से विनोद नांगिया, नावेल्टी बुक डिपो से आनंद चोपड़ा, नवनीत एजुकेशन लिमि. से सुधीर मोहिते, एस.चंद पब्लिशिंग से अंकुर श्रीवास्तव उपस्थित थे।

Similar News