अंबाझरी तालाब की जर्जर दीवार से हो सकता है खतरा, दरार भरने की तैयारी

अंबाझरी तालाब की जर्जर दीवार से हो सकता है खतरा, दरार भरने की तैयारी

Anita Peddulwar
Update: 2020-10-28 09:07 GMT
अंबाझरी तालाब की जर्जर दीवार से हो सकता है खतरा, दरार भरने की तैयारी

डिजिटल डेस्क,नागपुर। अंबाझरी तालाब की जर्जर दीवार खतरे की घंटी बजा रही है। जर्जर दीवार के पुनर्निर्माण की तैयारी की जा रही है।  इसके लिए मनपा व सिंचाई विभाग के  अधिकारियों ने अंबाझरी तालाब का निरीक्षण किया है। निरीक्षण के बाद सिंचाई विभाग ने तालाब को बचाने के लिए एक इस्टिमेट तैयार कर मनपा को सौंपा है। फिलहाल अस्थायी उपाय स्वरूप दीवार की दरार को भरा जा रहा है। बता दें कि स्वामी विवेकानंद स्मारक से लेकर अंबाझरी तालाब उद्यान तक लंबी सुरक्षा दीवार कई जगह से जीर्ण हो चुकी है। जिसे लेकर चिंता जताई जा रही है। 

सिंचाई विभाग ने तैयार किया प्रस्ताव, मनपा को भेजा
दीवार की दाईं ओर गार्डन और सुरक्षा दीवार के मिलने वाले कोने में दरार आ गई है। इसका लगातार मनपा निरीक्षण कर रही है।  मनपा यह कार्य नहीं कर सकती, क्योंकि उसके पास विशेषज्ञ नहीं है। इसलिए सिंचाई विभाग के सिविल विभाग की मदद ली जा रही है। सिविल विभाग ने इसके पुन:निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार कर भेजा है।

आधा शहर हो जाएगा जलमग्न
मनपा अंतर्गत तालाब का तटबंध जीर्ण हो चुका है। इसकी दीवार में दरार आ गई है। दरार से लगातार पानी का रिसाव हो रहा है। लगातार पानी के रिसाव से दीवार टूटने की आशंका है, जिससे अाधा शहर जलमग्न हो सकता है। उल्लेखनीय है कि, अंबाझरी तालाब शहर के बड़े तालाबों में से एक है। शहर के बीच बहने वाली नागनदी का उद्गम भी इसी तालाब से होता है। नागनदी का जलस्तर बढ़ने का असर इस तालाब पर भी होगा।

दरार को भरा जा रहा 
दीवार के पुनर्निर्माण के लिए सिंचाई विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर हमें भेजा है। जब तक कोई निर्णय नहीं होता, तब तक दरार को भरकर पानी के रिसाव को रोकने का काम किया जा रहा है।   श्वेता बनर्जी, कार्यकारी अभियंता, मनपा

आजादी से पहले बनी है दीवार
अंबाझरी तालाब की दीवार आजादी से भी पहले बनाई गई थी। इस तरह की दीवार को स्टील वे कहा जाता है। इसमें बार-बार मरम्मत नहीं की जाती। लेकिन इस पर ध्यान देना जरूरी है। मनपा के अंतर्गत दो ही तालाब आते हैं जिसमें अंबाझरी और गांधीसागर है। दो तालाब होने के बावजूद इस पर ध्यान नहीं दिया गया। 1994 में इसी तरह की घटना चंदेरी बांध पर हुई थी। जिसमें बांध का पानी नदी में मिल गया और नदी का पानी नालों से गांव में आ गया। रात 11 से 11.30 बजे के बीच जब लोग सो रहे थे तब पानी सबको बहा ले गया। यह बहुत ही गंभीर विषय है। मन्नू दत्ता, अध्यक्ष तालाब बचाओ कृति समिति

Tags:    

Similar News