लॉकडाउन के चलते शहर में अटके मूक-बधिर छात्र

लॉकडाउन के चलते शहर में अटके मूक-बधिर छात्र

Anita Peddulwar
Update: 2020-04-01 12:01 GMT
लॉकडाउन के चलते शहर में अटके मूक-बधिर छात्र

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना के कारण किये गये लॉकडाउन के कारण कई मजदूर वर्ग शहर में अटका पड़ा है। महीनों अपने परिवार से दूर रहनेवाले मूक-बधिर बच्चों को भी अपने घर वापसी नसीब नहीं हुआ है। शहर के कुछ छात्रावास में यह बच्चे फंसे हैं। आवागमन बंद होने से यह अपने परिवार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। जिससे सभी बहुत दुखी हैं।

नागपुर शहर में स्थित मूक बधिर विद्यालय में राज्य के कोने-कोने से मूक-बधिर छात्र पढ़ने के लिए आते हैं। यहां छोटी उम्र के बच्चों को स्कूल परिसर में बने छात्रावास में रखा जाता है। जबकि बड़ी उम्र के बच्चों को बाहर के छात्रावास में रखा जाता है। जहां से वह स्कूल आना-जाना कर छात्रावास में रहते हैं। पहली कक्षा से नवीं कक्षा तक के बच्चों को मार्च माह के शुरूआत में ही छुट्‌टी दी जाती है। लेकिन दसवीं के बच्चों की परीक्षाएं काफी देरी से होने से इन्हें रोका जाता है। जो मार्च माह के अंत तक अपने गांव लौट जाते हैं। लेकिन इस बार कुछ बच्चे गांव लौटने के पहले ही लॉकडाउन में फंस गये हैं। जिसमें 2 बच्चियां शंकरनगर स्थित मूक बधिर विद्यालय में है। अन्य कुछ छात्र युगांतर व बर्डी के डीसी हॉस्टल में फंसे हैं। इनके घरवाले इन्हें लेने पहुंचने में सक्षम नहीं है। ऐसे में छात्रावास में ही इन्हें रखा गया है।

मूक बधिर विद्यालय के छात्रावास में फंसी दो छात्राओं को अधीक्षक नंदु पडोले ने अपने परिवार के साथ ही रखा है। जिन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। बताया जाता है कि, दसवी कक्षा में पढ़नेवाली सीमा राठोड अकोला की रहनेवाली है। इनके घरवालों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे में वह इसे लेने के लिए नहीं आ पा रहे हैं। वही नांदेड में रहनेवाली शीतल गच्चें भी अपने घर नहीं जा सकती है। इसी तरह बाकी छात्रावास में भी मूक-बधिर बच्चे अटके हैं। जो अपने परिवार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

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