लखनऊ यूनिवर्सिटी में धरना प्रदर्शन हुआ बैन, छात्र बोले- अघोषित इमरजेंसी

लखनऊ यूनिवर्सिटी में धरना प्रदर्शन हुआ बैन, छात्र बोले- अघोषित इमरजेंसी

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-08 13:52 GMT
लखनऊ यूनिवर्सिटी में धरना प्रदर्शन हुआ बैन, छात्र बोले- अघोषित इमरजेंसी

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। लखनऊ यूनिवर्सिटी में कोई भी छात्र अब धरना या किसी भी तरह का प्रदर्शन नहीं कर पाएगा। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पूरे परिसर में धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। प्रशासन का कहना है कि यूनिवर्सिटी के शैक्षिक माहौल को बेहतर बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है। उधर, छात्र संगठनों में इस फैसले को लेकर काफी नाराजगी देखने को मिल रही है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर विरोध के संवैधानिक अधिकार का हनन किए जाने का आरोप लगाया है। 

अराजकता रोकने लिया गया फैसला

यूनिवर्सिटी के छात्रों का कहना है कि यह अघोषित इमरजेंसी जैसी बात है और हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे। इस मामले में यूपी बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में अराजकता फैलाने वालों को रोकने के लिए फैसला लिया गया है, जिससे परिसर में शांति का माहौल बना रहे। यूनिवर्सिटी परिसर में अब सिर्फ गेट नंबर एक, गेट नंबर चार और पांच से ही प्रवेश करने की अनुमति होगी। वहीं बाकी सभी गेट बंद कर दिए गए हैं।  इसके अलावा, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलसचिव को समन्वय समिति का समन्वयक बनाया गया है। 

आईकार्ड अनिवार्य 

यूनिवर्सिटी परिसर में अब बिना प्रवेश पास के वाहनों का आना प्रतिबंधित कर दिया गया है। सभी छात्रों के लिए आईकार्ड अनिवार्य किया गया है। बिना आईकार्ड उन्हें परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। प्रशासन ने कहा कि छात्रावास में रहने वाले छात्र यदि वह वाहन रखते हैं तो उसकी सूचना उपलब्ध करानी होगी। जिला प्रशासन के साथ प्रॉक्टोरियल बोर्ड की टीम छात्रावासों का औचक निरीक्षण करेगी। इससे पहले, शुक्रवार को ही इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ पीठ ने गत 4 जुलाई को, लखनऊ यूनिवर्सिटी परिसर में कुछ अराजक तत्वों द्वारा शिक्षकों से मारपीट किए जाने के मामले में लापरवाही भरा रवैया अपनाने के लिए लखनऊ पुलिस को फटकार लगायी थी। 

16 जुलाई को होगी अगली सुनवाई 

पीठ ने यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा के मामले में पुलिस महानिदेशक, लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, विश्वविद्यालय के कुलपति, रजिस्ट्रार और प्रॉक्टर को तलब किया। अदालत ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से सुझाव मांगे हैं कि आखिर परिसर में गुंडागर्दी को कैसे रोका जाए। बता दें कि इस मामले की अगली सुनवाई अब 16 जुलाई को होनी है। 

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