डिजिटल इंडिया का नारा बना दिखावा, 167 गांव नॉट-रीचेबल, नहीं मिलता कवरेज

डिजिटल इंडिया का नारा बना दिखावा, 167 गांव नॉट-रीचेबल, नहीं मिलता कवरेज

Anita Peddulwar
Update: 2018-10-22 08:41 GMT
डिजिटल इंडिया का नारा बना दिखावा, 167 गांव नॉट-रीचेबल, नहीं मिलता कवरेज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिले में डिजिटल इंडिया फेल हो गया है। मोबाइल तक तरंगे पहुंचाने के लिए 133 टॉवर स्थापित हैं, परंतु इन टॉवरों का जिले के 167 गांवों को कोई फायदा नहीं। नागपुर जिले में 1859 गांव आते हैं। इसका क्षेत्रफल लगभग 9892 वर्ग कि.मी. और जनसंख्या 46, 53, 570 है। जनसंख्या के आधार पर अगर 50 प्रतिशत भी लोगों के पास मोबाइल मानकर चला जाए तो यूजर्स की संख्या 24 लाख के आसपास होती है। इसमें अलग-अलग कंपनियों के अलावा बीएसएमएल के 133 टॉवर हैं। 

असली दिक्कत यह
दिक्कत यह है कि जिले के निचले स्तर पर रहने वाले घरों तक टॉवर की तरंगे नहीं पहुंच पा रही हैं, इसलिए संपर्क नहीं हो पा रहा है। कभी आउट ऑफ कवरेज तो कभी मोबाइल बंद बताया जाता है। डिजिटल इंडिया के युग में रोजी-रोटी कमाने वाले कामगारों से लेकर उद्योगपति या शासकीय कर्मचारी व अन्य व्यक्ति संपर्क या संदेेश के लिए मोबाइल पर ही िनर्भर हैं। गांवों में कोई अप्रिय घटना हो या संकटकालीन समय वांछित व्यक्ति से संपर्क ही नहीं हो पा रहा है।  

शहर किनारे गांव भी नॉट रीचेबल 
उपराजधानी के किनारे बसे गांव मेट्रो विकास में शामिल किए गए हैं। इसमें से चिकना, धामना शहर से 10 किमी दूरी पर है। यहां के ग्रामसेवक पंकज ठाकरे ने बताया कि मोबाइल कवरेज न होने से एक दूसरे से संपर्क टूट जाता है। शासकीय कामों में भी बाधा निर्माण हो जाता है। वेला हरिचंद के ग्रामसेवक सी.पी. मुंगले के साथ लोगों ने बताया कि जब जरूरी काम पड़ने पर मोबाइल बंद या कवरेज क्षेत्र के बाहर बताया जाता है। स्थिति ऐसी भी आती है कि रात में घरों के छत पर या फिर कुछ लोग तो पेड़ों पर चढ़कर कवरेज की राह देखते हैं।

214 टावर शुरू होने वाले हैं
नागपुर के ग्रामीण इलाकों में 133 टॉवर चालू हैं। कवरेज प्राब्लम में टू जी व थ्री जी काम नहीं करने की वजह से टॉवर नए लगाने का काम मंजूर हुआ है। तब 214 टॉवर शुरू हो जाएंगे और फिर प्राब्लम नहीं होगा, सेवा में सुधार आएगा।
समीर खरे, पीआरओ, बीएसएनएल विभाग, नागपुर

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