ऑयल कंपनी से नहीं लिया अभिमत, सीज पेट्रोल पंप फिर शुरू - कलेक्टर के फैसले पर रोक

ऑयल कंपनी से नहीं लिया अभिमत, सीज पेट्रोल पंप फिर शुरू - कलेक्टर के फैसले पर रोक

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-12 08:16 GMT
ऑयल कंपनी से नहीं लिया अभिमत, सीज पेट्रोल पंप फिर शुरू - कलेक्टर के फैसले पर रोक

डिजिटल डेस्क छतरपुर । शहर के जवाहर तिराहे में पिछले कई साल से फर्जी दस्तावेजों के सहारे चल रहे विवादित पेट्रोल पंप सीज होने के एक सप्ताह के बाद फिर शुरू हो गया है। खाद्य विभाग द्वारा ऑयल कम्पनी से पेट्रोल पम्प सीज करने का अभिमत नहीं लेने से कमिश्नर कोर्ट ने कलेक्टर के फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। जिला आपूर्ति अधिकारी बीके सिंह ने बताया की कमिश्नर कोर्ट ने पम्प का लीज रेंट जमा होने और अभिमत नहीं लेने की वजह से आगामी 2 अप्रैल तक के
लिए स्थगन जारी किया है। बताया जाता है कि खाद्य विभाग द्वारा प्रकरण में आवश्यक कार्रवाई पूरी नहीं करने की वजह से पम्प संचालक को राहत मिलना बताया जा रहा है। कानून के जानकारों का कहना है कि खाद्य विभाग के अफसरों की लापरवाही के चलते फर्जी दस्तावेजों में चल रहे पम्प संचालक को फौरी राहत मिली है। गौरतलब है कि जोगिन्दर सिंह की मौत के बाद नियमों को ताक पर रखकर जसपाल सिंह उर्फ टीपू द्वारा पेट्रोल पंप को संचालित किया जा रहा था। खाद्य विभाग के अफसर आंख बंद कर पंप का मृत व्यक्ति के नाम से रिनुवल कर रहे थे। चर्चा है विवादित पेट्रोल पंप आपूर्ति अधिकारी और पंप के कथित संचालक टीपू सिंह की मिलीभगत से चल रहा था। अवैध तरीके से चल रहे पेट्रोल पंप की प्रमाण समेत शिकायत होने के बाद भी आपूर्ति अधिकारी कलेक्टर को गुमराह कर संचालक को संरक्षण दिया जा रहा था।
फौत के नाम पर जीएसटी का रजिस्ट्रेेशन
 आरोप है कि जोगिन्दर सिंह के नाम पर चल रहे पेट्रोल पंप की लीज 2015 में खत्म हो चुकी है । इतना ही नहीं गुरु मेजर सिंह और जोगिन्दर सिंह की मौत के बाद भी कागजों में हेराफेरी कर टीपू सिंह द्वारा पंप संचालित किया जा रहा था। आरोप है की आपूर्ति अधिकारी की मौन स्वीकृति के चलते मृत व्यक्ति के नाम पर पंप चल रहा था। शिकायत में आरोप है कि पंप संचालक की मौत के बाद फर्जीवाड़ा कर जीएसटी में रजिस्ट्रेशन भी कराया गया है।
पंप का स्वामित्व नहीं हुआ ट्रांसफर
 पंप  संचालको की मौत के बाद स्वमित्व ट्रांसफर हुए बगैर पंप चल रहा था। आरोप है कि संचालकों की मौत के बाद भी सेलटैक्स और खाद्य विभाग से सर्टिफिकेट जारी हो रहे थे। इस पूरे मामले में आपूर्ति अधिकारी की भूमिका संदिग्घ बताई जा रहीं, बल्कि सेल्स टैक्स अफसरों की कार्य प्रणाली पर अंगुलियां उठने लगी हैं। अब यह सवाल उठने लगे हैं कि मृत पेट्रोल पंप संचालकों के फर्जी हस्ताक्षर से इनको एनओसी कैसे जारी हो रही थी।
इनका कहना है
हिन्दुस्तान पेट्रोलियम से अभिमत नहीं लिए जाने और लीज रेंट जमा होने को
आधार मानते हुए कोर्ट ने कलेक्टर के आदेश पर कमिश्नर न्यायालय ने रोक लगा दी है । कोर्ट ने रिकॉर्ड तलब करते हुए एक अप्रैल तक के लिए फैसले के क्रियान्वयन पर रोक लगाई है ।
- बीके सिंह, डीएसओ

 

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