जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक घोटाला : हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद ट्रायल में देरी

जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक घोटाला : हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद ट्रायल में देरी

Anita Peddulwar
Update: 2020-10-27 06:01 GMT
जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक घोटाला : हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद ट्रायल में देरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एनडीसीसी बैंक घोटाले पर केंद्रित ओमप्रकाश कामडी द्वारा दायर जनहित याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई।  याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्रीरंग भंडारकर ने दलील दी कि हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद निचली अदालत में इस प्रकरण का डे-टू-डे ट्रायल नहीं चल रहा है। वहीं हाईकोर्ट ने निचली अदालत को हर 15 दिन में प्रोग्रेस रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था, अब तक प्रकरण में सिर्फ एक प्रोग्रेस रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपी गई है। इसके बचाव में सरकारी पक्ष ने दलील दी कि कोरोना संक्रमण के कारण बनी परिस्थितियों के कारण ट्रायल में देरी हो रही है, 29 अक्टूबर को निचली अदालत गवाहों को सुनेगी। वहीं, इस प्रकरण में एक याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रही है, जिस पर 29 अक्टूबर को सुनवाई अपेक्षित है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 4 नवंबर तक स्थगित कर दी है। 

यह है मामला

वर्ष 2002 में सामने आए नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के करोड़ों रुपए के इस घोटाले मंे विशेष लेखा परीक्षक विश्वनाथ असवर ने बैंक का ऑडिट करके 29 अप्रैल 2002 में गणेशपेठ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद बैंक के पूर्व अध्यक्ष सुनील केदार, महाव्यवस्थापक अशोक चौधरी और अन्य पर भादंवि की धारा 406, 409, 468, 12-ब, 34 के तहत मामला दर्ज किया गया था। मामले में ट्रायल में अत्याधिक देरी हो रही थी। याचिकाकर्ता ओमप्रकाश कामडी ने यह मुद्दा नागपुर खंडपीठ के समक्ष उठाया, तो नागपुर खंडपीठ ने 23 दिसंबर 2014 को मुख्य न्यायदंडाधिकारी को एक वर्ष के भीतर ट्रायल पूरा करने के आदेश दिए थे, लेकिन ट्रायल एक वर्ष में पूरा नहीं हो सका। अंतत: नागपुर खंडपीठ ने बीते अक्टूबर में ट्रायल के लिए नागपुर में एक समर्पित न्यायालय तय किया। हाईकोर्ट ने 2 दिसंबर से डे टू डे ट्रायल चलाने के आदेश जारी किए थे। इसके बाद निचली अदालत में ट्रायल शुरू हुआ था, जो कोरोना संक्रमण के कारण रुक गया। अब सुनवाई दोबारा शुरू की गई है।

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