57 साल बाद मुंबई में शीतकालीन सत्र, छाया रहेगा सूखा और मराठा आरक्षण का मसला

57 साल बाद मुंबई में शीतकालीन सत्र, छाया रहेगा सूखा और मराठा आरक्षण का मसला

Tejinder Singh
Update: 2018-11-16 15:02 GMT
57 साल बाद मुंबई में शीतकालीन सत्र, छाया रहेगा सूखा और मराठा आरक्षण का मसला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आगामी सोमवार से शुरु हो रहे विधानमंडल के शीतकालिन सत्र में विपक्ष पहले दिन से आक्रामक रुख अपनाएगा। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्ष इस बार सत्तापक्ष पर हमले करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता। हालांकि सरकार अपने चार साल के कामकाज की बदौलत विपक्ष का करार जवाब देने को तैयार है। 19 नवंबर से शुरु हो रहे दो सप्ताह लंबे शीतकालीन सत्र में मराठा आरक्षण पर राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट और 151 तालुकों में सूखे का मुद्दा छाए रहने की उम्मीद है। शीतकालीन सत्र 57 साल बाद मुंबई में हो रहा है। इसमें केवल आठ कामकाजी दिन होंगे और यह 30 नवंबर को खत्म होगा। हर साल शीतकालिन सत्र नागपुर में ही होता रहा है।

अभी इस पर फैसला नहीं लिया गया है कि 23 नवंबर को गुरु नानक जयंती पर सदन की कार्रवाई चलेगी या नहीं। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने मराठा आरक्षण पर अपनी 200 पृष्ठों की रिपोर्ट गुरुवार को सौंप दी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने बाद में कहा कि इस संबंध में सभी वैधानिक औपचारिकताएं 15 दिनों में पूरी कर ली जाएंगी।

सूत्रों ने बताया कि बहरहाल इस पर फैसला नहीं लिया गया है कि रिपोर्ट को सदन के पटल पर पेश किया जाएगा या नहीं। मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान अगस्त में फड़णवीस ने टेलीविजन पर दिए संबोधन में कहा था कि जब आयोग अपनी रिपोर्ट सौंप देगा तो समुदाय को आरक्षण देने के संबंध में ‘‘कानून या प्रस्ताव’’ पारित करने के लिए एक महीने के भीतर राज्य विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाया जाएगा।

राज्य के कई हिस्सों में सूखे का मुद्दा भी विधानसभा और विधान परिषद में छाया रह सकता है। विपक्ष ने पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को लेकर हमलावर रुख अपनाया हुआ है। मोदी ने शिर्डी में एक रैली में कहा था कि राज्य सरकार की योजना जलयुक्त शिवार की वजह से 16,000 गांव अब सूखे से मुक्त हो गए हैं। प्रदेश कांग्रेस इस मसले पर सरकार को लगातार घेरने की कोशिश करती रही है और इसे घोटाला बताया है। कांग्रेस विधायक सदन में भी यह मसला उठाएंगे। 

पेश होंगे 9 विधेयक

सत्र में बाघिन अवनि को मार डालने का मुद्दा भी गरमा सकता है। इस हत्या पर पशु प्रेमियों और वन्यजीव संगठनों ने नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है।राज्य सरकार ने हत्या की जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया। शीतकालीन सत्र में जीएसटी संशोधन, ग्राम पंचायत चुनाव लड़ने के लिए जाति वैधता और सहकारी आवासीय सोसायटी के संबंध में अन्य संशोधन समेत नौ नए विधेयक पेश किए जाएंगे।
 

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