कोरोना का असर, जंगल सफारी के लिए कम पहुंचे पर्यटक
कोरोना का असर, जंगल सफारी के लिए कम पहुंचे पर्यटक
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना महामारी ने लोगों को घरों में कैद होने के लिए मजबूर किया। इससे लोग पर्यटन के लिए बाहर नहीं निकल सके। इससे जंगल सफारी भी प्रभावित हुआ है। गत 2 साल में पूर्व की अपेक्षा 50 हजार से ज्यादा पर्यटक नागपुर जिले के पेंच जंगल सफारी में कम पहुंचे हैं। इससे वन विभाग को लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। वर्ष 2019-20 में कुल 69 हजार पर्यटकों ने पेंच जंगल सफारी का आनंद लिया था, लेकिन कोरोना के कारण वर्ष 2020-21 में ज्यादातर जंगल सफारियां बंद रहने से केवल 18 हजार 2 सौ पर्यटक ही जंगल भ्रमण करने पहुंचे।
आकर्षण का केंद्र है पेंच
नागपुर जिले का सबसे आकर्षित व घना जंगल पेंच क्षेत्र है। 700 वर्ग किमी से ज्यादा क्षेत्र में फैले पेंच अंतर्गत ईस्ट पेंच में देवलापार, ईस्ट पेंच, चोरबाहुली, पवनी यूनिक कंट्रोल आता है, वहीं वेस्ट पेंच में नागलवाड़ी, सालेघाट क्षेत्र आता है। यहां वन्यजीवों की भी कमी नहीं है। केवल बाघों की ही बात करें, तो 50 से ज्यादा बाघ यहां मौजूद हैं। ऐसे में पर्यटकों के लिए यहां आना हमेशा से प्राथमिकता में रहा है, लेकिन कोरोना की दस्तक के बाद से जंगल सफारियां ज्यादातर समय बंद रही हैं। कुछ समय के लिए खुलीं भी, लेकिन कोरोना के डर के कारण पर्यटक यहां नहीं पहुंचे हैं।
आमदनी में कमी
पेंच टाइगर रिजर्व में घूमनवालों की संख्या हर साल काफी ज्यादा रहती है। एक सफारी से 4 से 5 हजार रुपए तक शुल्क लिया जाता है, जिसके चलते हर साल लाखों रुपए का राजस्व वन विभाग को मिलता है। इस साल काफी कम पर्यटकों के आने से वन विभाग को राजस्व का नुकसान हुआ है।
उमरेड-करांडला में भी कम पहुंचे पर्यटक
नागपुर जिले में उमरेड-करांडला अभयारण्य भी है। जहां बाघों की मौजूदगी रहने से जंगल सफारी करने वालों की भीड़ लगी रहती है। कोरोना के कारण यहां भी पर्यटकों की मौजूदगी कम रही है। केवल 25 प्रतिशत ही पर्यटक सैर के लिए पहुंचे थे।