छह माह पहले का भुगतान शेष, किसानों ने किया आंदोलन

छह माह पहले का भुगतान शेष, किसानों ने किया आंदोलन

Anita Peddulwar
Update: 2018-10-04 10:00 GMT
छह माह पहले का भुगतान शेष, किसानों ने किया आंदोलन

डिजिटल डेस्क, वर्धा। कुदरती मार झेल रहे किसानों की समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। जैसे-तैसे किसान फसल उत्पादन करते हैं लेकिन उनकी फसलों को प्रशासकीय उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है। बता दें कि छह माह पूर्व किसानों ने जो तुअर बेची थी उसका अब तक भुगतान नहीं हो पाया है। प्रशासकीय निर्णय के बाद किसानों ने उत्पादित की तुअर नाफेड को निर्धारित राशि में बेच दी।  इस बात को 6  माह से भी अधिक का समय बीत चुका है। इसके बाद भी अब तक किसानों को राशि नहीं मिली, जिससे संतप्त किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय के भीतर धरना आंदोलन किया। 

नियम के  अनुसार तुअर बेचने के 15 दिनों के भीतर  पैसों का भुगतान होना था किंतु सेलू  तहसील समेत जिले के कई किसानों को अभी तक बेची गयी तुअर की राशि नहीं मिली है। पिछले वर्ष कपास की फसल  गुलाबी बोंड इल्लियों बर्बाद कर दिया। कपास के लिए लगाई गई लागत भी बड़ी मुश्किल से निकल पाई। दलालों की मुनाफाखोरी से बचने तथा दो पैसे बचाने के लिए  प्रशासन के निर्णय पर किसानों ने नाफेड को तुअर निर्धारित दामों में बेची, लेकिन अभी तक  किसानों का भुगतान न होने से सेलू तहसील के गुस्साए किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय के भीतर धरना आंदोलन किया। शीघ्र मांग पूरी न होने पर उग्र आंदोलन करने की चेतावनी भी किसानों ने दी है।

सिंदी कृषि बाजार समिति की सिंदी तथा उपबाजारपेठ सेलू को तुअर की खरीदारी विदर्भ को.ऑप. मार्केटिंग फेडरेशन लि. नागपुर की ओर से की गई। 5 हजार 450  प्रति  क्विंटल के हिसाब से किसानों की तुअर खरीदी गई।  तुअर का भुगतान जल्द ही किसानों को किया जाएगा ऐसा अभीवचन भी दिया गया किंतु अभी तक भुगतान नहीं मिला। आंदोलन में मारुति बेले, सुनील गुलघाने, प्रमोद चाफले, नारायण महाकालकर,गोपाल झाडे, प्रमोद तड़स के साथ कई किसान जिलाधिकारी कार्यालय में धरने पर बैठ गए।  जिलाधिकारी किसी मीटिंग  में व्यस्त थे, जिससे किसानों की समस्या जानने के लिए अपर जिलाधिकारी संजय देहने जिलाधिकारी कार्यालय  पहुंचे। जहां पर किसानों की समस्या पर चर्चा की गई। 

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