इस पूरे हफ्ते ये 8 खास हैशटैग रहे ट्रेंड में, 'भगोड़ा मोदी' से लेकर 'मोदी नौकर अंबानी' का..., 

इस पूरे हफ्ते ये 8 खास हैशटैग रहे ट्रेंड में, 'भगोड़ा मोदी' से लेकर 'मोदी नौकर अंबानी' का..., 

Bhaskar Hindi
Update: 2020-12-27 06:28 GMT
इस पूरे हफ्ते ये 8 खास हैशटैग रहे ट्रेंड में, 'भगोड़ा मोदी' से लेकर 'मोदी नौकर अंबानी' का..., 

डिजिटल डेस्क (नई दिल्ली)। किसान आंदोलन का आज 27 दिसंबर को 32वां दिन है। इस बीच कई राउंड की बैठक बेनतीजा रहने पर अब मोदी सरकार सोशल मीडिया पर यूजर्स के निशाने पर है। दरअसल, पिछले एक हफ्ते में ट्वीटर पर जो  हैशटैग ट्रेंड में रहे वह बताते हैं कि लोगों में सरकार की खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है। ये हैशटैग हैं,  #किसान_कमल_काटेगा, #PM_सुसत_टोल_मुफत, #ModiNaukarAmbaniKa, #BhagodaModi ,Government For the corporates, #किसान_विरोधी_सत्ता_छोड़ो, #मोदी_बकवास_बंद_कर   और  #ModiStopIgnoringFarmers...। 


देशभर के किसान नए कृषि कानूनों के ख़िलाफ प्रदर्शन कई महीनों से कर रहे हैं। इस कोरोना काल में और दिल्ली की कड़कड़ती ठंड के बीच सिंधु बॉर्डर पर किसानों ने अपना डेरा जमा रखा है। अब तक 40 से ज्यादा किसानों की इस बिल की वजह से मौत हो चुकी है। राजस्थान और हरियाणा के किसान भी लगातार दिल्ली पहुंच रहे हैं। किसानों का साफ कहना है कि जब तक सरकार पूरा बिल वापस नहीं लेगी तब तक वे यहां से नहीं हटेंगे। किसान नेता राकेश टिकैत पहले ही कह चुके हैं कि " सरकार की तरफ से जो प्रस्ताव आया है उसमें बिल वापसी की बात नहीं है। सरकार संशोधन चाहती है। संशोधन के लिए किसान तैयार नहीं है। हम चाहते है पूरा बिल वापस हो। बिल वापसी के अलावा कोई रास्ता निकलता नज़र नहीं आ रहा है। सरकार तीन कृषि बिल लाई है उसी तरह से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर भी बिल लाए"। 

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे किसानों की प्रमुख मांग एमएसपी को क़ानूनी अधिकार बनाने की है। क्योंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलने से उन्हें करोड़ों का नुकसान हो रहा है। वहीं, बड़े-बड़े उद्योगपति इसका फायदा उठा रहे हैं। वेबसाइट द वायर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों को पिछले दो महीने (अक्टूबर और नवंबर) में एमएसपी से कम कीमत पर कृषि उपजों की बिक्री होने पर कम से कम 1,881 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मक्का किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां बाजार मूल्य सिर्फ 1,100 और 1,550 के बीच रहा, जबकि इसकी एमएसपी 1,850 रुपए प्रति क्विंटल है। इसके चलते अक्टूबर और नवंबर महीने में इन किसानों को सीधे 485 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। वहीं, देश भर के मूंगफली किसानों को एमएसपी से नीचे बिक्री होने पर 333 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। 

अब देश भर के किसान इन बिलों का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलना कम होता जा रहा है और किसानों का मानना है कि यह विधेयक एपीएमसी (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) यानी मंडियों को खत्म कर देगा और फिर निजी कंपनियों को बढ़ावा देगा, जिससे किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिलना बंद हो जाएगा। वहीं, किसानों का आरोप है कि मोदी सरकार अंबानी और अंडानी को फायदा पहुंचाने के लिए न्यूनत समर्थन मूल्य और मंडियों का खत्म करना चाहती है। 
 

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