घरेलू हिंसा कानून के तहत पिता को बच्चे से मिलने का अधिकार, महिला की याचिका खारिज

घरेलू हिंसा कानून के तहत पिता को बच्चे से मिलने का अधिकार, महिला की याचिका खारिज

Tejinder Singh
Update: 2018-11-06 14:04 GMT
घरेलू हिंसा कानून के तहत पिता को बच्चे से मिलने का अधिकार, महिला की याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। यदि बच्चा मां के पास रहता है तो पिता घरेलू हिंसा कानून के तहत बच्चे से मिलने का अधिकार रखता है। बांबे हाईकोर्ट ने एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया है। इससे पहले सत्र न्यायालय ने पिता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि यदि बच्चा मां के पास है तो पिता बच्चे से मुलाकात करने का हक रखता है। सत्र न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में अपील की थी। जिसे जस्टिस प्रकाश नाइक ने खारिज कर दिया है। 

अपील में महिला ने सत्र न्यायालय के आदेश को खामीपूर्ण बताते हुए दावा किया था कि घरेलू हिंसा कानून के तहत सिर्फ पीड़ित महिला ही बच्चे से मिलने का अधिकार रखती है पुरुष को यह अधिकार नहीं है। वह इस कानून की धारा 21 के तहत आवेदन नहीं कर सकता है। महिला के आवेदन का विरोध करते हुए उसके पति ने कहा था कि मैं हमेशा के लिए बच्चे को नहीं मांग रहा हूं। मुझे सिर्फ बच्चे से मिलने का अधिकार चाहिए। 

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस ने कहा कि घरेलू हिंसा कानून का उद्देश्य समाज में हिंसक घटनाओं की पुनरावृत्ती को रोकना है। पिता को बच्चे से मिलने से रोकना उचित नहीं है। बच्चे को अपने माता-पिता दोनों का स्नेह मिलना चाहिए। पति-पत्नी के आपसी मतभेद का बच्चे की मनोदशा पर विपरीत असर नहीं पड़ना चाहिए। जस्टिस ने साफ किया कि पिता को घरेलू हिंसा कानून के तहत बच्चे से मिलने का अधिकार है। बच्चे से मुलाकात को लेकर बनाए गए दिशा निर्देश भी आश्वस्त करते हैं कि मां व पिता दोनों को अपने बच्चे से मिलने के लिए समान समय मिलना चाहिए।

जस्टिस ने कहा कि इस तरह के प्रकरण में बच्चे के हित को सर्वोपरि रखना चाहिए। यह कहते हुए जस्टिस ने महिला के आवेदन को खारिज कर दिया। मामले से जुड़े दंपति का साल 2008 में विवाह हुआ था।। साल 2012 में उनको एक बेटा पैदा हुआ। पर साल 2017 में दोनों के बीच मतभेद शुरु हो गए। तब से दोनों एक दूसरे से अलग रह रहे हैं।

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