महाराष्ट्र: नागपुर के हॉस्पिटल में आग लगने से एक महिला सहित 4 की मौत, 27 मरीजों को शिफ्ट किया 

महाराष्ट्र: नागपुर के हॉस्पिटल में आग लगने से एक महिला सहित 4 की मौत, 27 मरीजों को शिफ्ट किया 

Bhaskar Hindi
Update: 2021-04-09 19:59 GMT
महाराष्ट्र: नागपुर के हॉस्पिटल में आग लगने से एक महिला सहित 4 की मौत, 27 मरीजों को शिफ्ट किया 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र के नागपुर में शुक्रवार रात एक कोविड हॉस्पिटल में आग लग गई। इससे एक महिला समेत 4 लोगों की मौत हो गई और कुछ अन्य लोग घायल हो गए। नागपुर GMC के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अविनाश ने बताया कि शहर के वाडी इलाके में एक निजी अस्पताल में रात 8.10 बजे आग लग गई। हॉस्पिटल में कुल 27 मरीजों का इलाज चल रहा था। इस मामले में पुलिस का कहना है कि सभी मरीजों को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है।

दूसरी मंजिल पर ICU की एसी यूनिट से फैली आग
नागपुर नगर निगम (NMC) के प्रमुख अग्निशमन अधिकारी राजेंद्र उचके ने बताया कि अस्पताल की दूसरी मंजिल पर स्थित ICU के AC यूनिट से आग की शुरुआत हुई। दूसरी मंजिल तक ही आग सीमित रही और आगे नहीं फैल पाई। उन्होंने बताया कि यह गैर कोविड अस्पताल है। घटना में चार लोगों की मौत हो गई और कुछ अन्य लोग घायल हो गए। आग पर काबू पाने के लिए दमकल के कई वाहनों को घटनास्थल पर भेजा गया। उचके ने बताया कि जिस समय आग लगी उस वक्त दूसरी मंजिल पर 10 मरीज थे। आग लगने के बाद 6 मरीज खुद ही बाहर निकल गए, जबकि चार मरीजों को दमकलकर्मियों ने बचाया।

27 मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया
वहीं, गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अविनाश गावंडे ने बताया कि शवों को सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल लाया गया है। 27 मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है। जानकारी के अनुसार रात करीब नौ बजे अमरावती मार्ग पर वाडी के पास स्थित वेल ट्रीट अस्पताल के आईसीयू वार्ड में आग लग गई। कहा जा रहा है कि आग एसी में शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी। इस घटना में अस्पताल के एक चिकित्सक के घायल होने की खबर है।

सवालों के घेरे में अस्पतालों का फायर सेफ्टी सिस्टम
करीब तीन महीने पहले महाराष्ट्र के ही भंडारा में जिला अस्पताल में आग से 10 नवजातों की मौत हो गई थी। इसकी वजह शॉर्ट सर्किट बताई गई थी। मरने वाले बच्चों की उम्र एक दिन से लेकर 3 महीने तक थी। जांच में पता चला था कि अस्पताल में आग बुझाने के कोई इंतजाम ही नहीं थे। कोई इमरजेंसी एग्जिट भी नहीं था। दो साल पहले एक RTI में यह खुलासा हो गया था। इसके बावजूद इसमें सुधार नहीं किया गया। 

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