इस कारण शिवसेना विधायक ने उठाई अलग मराठावाड़ा राज्य बनाने की मांग

इस कारण शिवसेना विधायक ने उठाई अलग मराठावाड़ा राज्य बनाने की मांग

Tejinder Singh
Update: 2018-10-26 13:29 GMT
इस कारण शिवसेना विधायक ने उठाई अलग मराठावाड़ा राज्य बनाने की मांग

डिजिटल डेस्क, मुंबई। उत्तर महाराष्ट्र के जलाशयों से जायकवाड़ी के लिए पानी छोड़ने को लेकर हो रहे विरोध के बीच नांदेड़ दक्षिण सीट से शिवसेना विधायक हेमंत पाटील ने तेलंगाना की तर्ज पर अलग मराठवाड़ा राज्य बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मराठवाडा पर लगातार हो रहे अन्याय के बाद अब यहां के लोग मराठवाड़ा को स्वतंत्र राज्य बनना चाहिए। शुक्रवार को मंत्रालय में पाटील ने कहा कि मैं शिवसेना का विधायक हूं। हमारी पार्टी की भूमिका अखंड महाराष्ट्र की रही है, लेकिन भावनात्मकता आधार पर हम कब तक चलेंगे। भावनात्मकता बातें करने से पेट नहीं भरता। पेट भरने के लिए रोटी चाहिए।

रोटी के लिए नए उद्योग और उसके जरिए रोजगार की जरूरत है। लेकिन मराठवाडा में नए रोजगार नहीं पैदा हो रहे हैं। हालत यह हो गई है कि मराठवाड़ा केवल मजदूर देने वाला इलाका बन गया है। पाटील ने कहा कि मराठवाड़ा में सूखे के कारण पानी की भीषण समस्या है। इसके बावजूद उत्तर महाराष्ट्र के नाशिक और अहमदनगर के सभी दलों के विधायक अपने जिले के जलाशयों से औरंगाबाद के जायकवाड़ी बांध में पानी छोड़ने का विरोध कर रहे हैं। वहां की नदियों में 12 महीने पानी बहता है। इसके बावजूद  उत्तर महाराष्ट्र के जनप्रतिनिधियों के विरोध की भूमिका दुर्भाग्यपूर्ण है।

पाटील ने कहा कि पानी संकट के मुद्दे पर भाजपा विधायक प्रशांत बंब ने औरंगाबाद में सर्वदलीय विधायकों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में हमने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक करने का फैसला किया है। हम लोग मुख्यमंत्री से मराठवाड़ा में पानी की समस्या को सुलझाने की मांग करेंगे। इसके अलावा मैं शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिलकर लोगों के आक्रोश को उनके सामने रखूंगा। 

पहले पश्चिम महाराष्ट्र और अब विदर्भ को लाभ 

पाटील ने कहा कि आघाड़ी सरकार के दौरान अधिकांश विकास निधि को पश्चिम महाराष्ट्र में खर्च किया गया। अब भाजपा सरकार विदर्भ में ज्यादा निधि ले जा रही है। प्रशासन के सभी बेहतर काम करने वाले अफसरों को विदर्भ में भेजा जा रहा है। जबकि मराठवाड़ा के जिलों में अधिकारियों के कई पद रिक्त है। पाटील ने कहा कि विदर्भ में महाराष्ट्र विधानमंडल का सत्र बुलाया जाता है। विदर्भ के जिलों की समस्याओं पर चर्चा होती है। लेकिन मराठवाड़ा में राज्य मंत्रिमंडल की एक बैठक तक नहीं होती है।

मराठवाड़ा के लोग बोलते नहीं है तो हम पर अन्याय हो रहा है। पाटील ने कहा कि मराठवाड़ा के लोग देख रहे हैं कि  तेलंगाना में किसानों को पानी, सिंचाई और बिजली की सुविधा मिल रही है। इसलिए लोगों को लगने लगा है कि अलग राज्य बने बगैर हमारे इलाके का विकास नहीं हो सकता है। दूसरी ओर विधायक पाटील की इस भूमिका पर प्रदेश के पर्यवारण मंत्री रामदास कदम ने कहा कि महाराष्ट्र अखंड रहेगा। विदर्भ और मराठवाड़ा को अलग राज्य बनाने की मांग उचित नहीं है। हम लोग मराठवाड़ा की समस्याओं को हल करेंगे।

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