आरटीआई से खुलासा : फांसी की सजा माफ करने में प्रतिभा पाटील सबसे आगे

आरटीआई से खुलासा : फांसी की सजा माफ करने में प्रतिभा पाटील सबसे आगे

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-21 04:07 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पिछलें 38 सालों में  पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा फांसी की सजा माफ की गई है। पाटील ने मृत्युदंड की 19 सजाओं को उम्रकैद में तब्दील किया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा फांसी की सजा कायम रखने के बाद राष्ट्रपति के पास दायर की गई दया याचिका यानी मर्सी पेटीशन को सबसे ज्यादा  पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल के दौरान उम्र कैद में बदला गया है। आरटीआई से मिली जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता शकील अहमद शेख ने केंद्रीय गृह मंत्रालय में एक आरटीआई दायर कर इस बात की जानकारी मांगी थी की साल 1981 से लेकर अभी तक राष्ट्रपति द्वारा प्राप्त कितनी दया याचिकों को रद्द किया गया और कितने मामले में माफी दी गई। न्यायिक  विभाग के संयुक्त सचिव डैनियल रिचर्ड की ओर से दिए गए आरटीआई जवाब में बताया गया है कि साल 1981 से लेकर अब तक सबसे ज्यादा दया याचिकाओं को  पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल यानी की साल 2007 से लेकर 2012 के दौरान उम्रकैद में बदल दिया गया।  

22 दया याचिकाओं पर फैसला

पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल के दौरान कुल 22 दया याचिकाओं पर फैसला लिया। 22 दया याचिकाओं में से उन्होने 19 दया याचिकाओं को उम्र कैद के रुप में परिवर्तित कर दिया तो वही 3 दया याचिकाओं को खारिज भी किया।  

  
रामनाथ कोविद ने भी खारिज की याचिका

मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने अपने अभी तक के कार्यकाल के  दौरान एक ही दया याचिका पर फैसला लिया है और उन्होने उस याचिका को खारिज कर दिया है।

प्रणव मुखर्जी ने 35 दया याचिकाओं पर लिया निर्णय

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने कार्यकाल के दौरान साल 2012 से 2017 तक 35 दया याचिकाओं पर फैसला लिया। 35 दया याचिकाओं में से उन्होने 31 दया याचिकाओं को खारीज कर दिया और 4 दया याचिका को उन्होने उम्र कैद में बदला।  

एपीजे अब्दुल कलाम

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दूल कलाम ने भी अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2002 से साल 2007 के बीच सिर्फ दो दया याचिकाओं पर फैसला लिया जिनमें से उन्होने एक को रिजेक्ट कर दिया और एक की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।

ज्ञानी जैल सिंह ने तीन को दिया जीवनदान

पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान  वर्ष 1982 से 1987 तक 22  दया याचिकाओं पर फैसला लिया। जिनमे से उन्होने 19  दया याचिकाओं को नामंजूर कर दिया जबकि 3 की फांसी को उम्र कैद में बदल दिया। 

वेंकेटरमन ने 33 याचिकाओं को किया खारिज

पूर्व राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकेटरमन ने अपने कार्यकाल के दौरान यानी साल 1987  से लेकर 1992 तक कुल 39  याचिकाओं पर फैसला लिया । जिनमे से उन्होने 6 याचिकाओं में फांसी से उम्रकैंद में बदला और 33  याचिकाओं को खारिज कर दिया। इसी तरह तत्कालिन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने अपने कार्यकाल के दौरान 1992   से लेकर 1997 तक कुल 12  याचिकाओं पर फैसला लिया और सभी याचिकाओं को उन्होने खारिज कर दिया। राष्ट्रपति के तौर पर के आर नारायण ने अपने कार्यकाल के दौरान 1997  से 2002 तक सिर्फ एक दया याचिका पर फैसला लिया जिसे उन्होने खारिज कर दिया था। 

याकूब मेनन ने दो बार मांगा थी जीवनदान

1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाको के आरोपी याकूब मेनन ने दो बार दया याचिका दायर की थी। 2 जनवरी 2014 और 26 जुलाई 2015  को याकूब मेनन ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दी थी हालांकि दोनों ही बार राष्ट्रपति ने उसकी याचिका को खारीज कर दिया था। याकूब मेनन की दूसरी दया याचिका पर सबसे जल्दी यानी की सिर्फ 3 दिन में ही फैसला लिया गया। 26 जुलाई 2015 को उसने अपनी दूसरी दया याचिका राष्ट्रपति के सामने दी और 29 जुलाई को राष्ट्रपति ने उसे खारिज कर दिया।  वही संसद पर हमले के आरोपी  अफजल गुरु ने 3 अक्टूबर 2006  के दिन राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी जिसका फैसला 3  फरवरी 2013 को लिया गया और उसकी फांसी की सजा को यथावत रखा गया।

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