जिला परिषद की सभा में हंगामा, सभापति ने जमीन पर बैठकर किया विरोध

जिला परिषद की सभा में हंगामा, सभापति ने जमीन पर बैठकर किया विरोध

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-08 05:22 GMT
जिला परिषद की सभा में हंगामा, सभापति ने जमीन पर बैठकर किया विरोध

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद की बजट सभा हंगामेदार रही। 28 जनवरी को आयोजित जिला स्तरीय महिला सम्मेलन महिला व बाल कल्याण समिति को विश्वास में लिए बिना रद्द किए जाने से समिति के सदस्यों ने रोष व्यक्त किया। सभापति पुष्पा वाघाड़े और समिति सदस्य छाया ढोले, कुंदा आमधरे, अरुणा मानकर, कल्पना चहांदे और रत्नमाला इरपाते सभा शुरू होने से पहले ही अध्यक्ष के आसन के सामने धरने पर बैठ गए। जिप अध्यक्ष निशा सावरकर और कांग्रेस के सदस्य शिवकुमार यादव उनके निशाने पर रहे। एक घंटा 10 मिनट तक सत्तापक्ष विरुद्ध सत्तापक्ष के बीच अधिकारों की लड़ाई चलती रही। 

जिला परिषद महिला व बाल कल्याण समिति ने जिला स्तरीय महिला सम्मेलन के आयोजन का निर्णय लिया। सम्मेलन में प्रमुख मार्गदर्शक समाजसेवी सिंधुताई सपकाल और प्रमुख अतिथि पालकमंत्री की पत्नी श्रीमती बावनकुले को आमंत्रित किया गया। सम्मेलन में उपस्थित रहने की उन्होंने स्वीकृति भी दी। देशपांडे सभागृह बुक किया गया। निमंत्रण पत्रिका छपाकर जिलेभर में गणमान्य व्यक्ति तथा महिला मंडलों को वितरित की गई। 25 जनवरी को सम्मेलन रद्द किए जाने का पत्र समिति के सदस्यों को मिला। पत्र विभाग के उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी भागवत तांबे ने भेजा था। अचानक सम्मेलन रद्द करने के निर्णय की सभापति पुष्पा वाघाड़े को भनक तक नहीं लगने दी गई। समिति सदस्यों को जब यह बात पता चली तो, उनका पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया।

कांग्रेस सदस्य के फोन को लेकर हंगामा
सभापति वाघाड़े ने कहा कि अध्यक्ष की केबिन में बैठकर कांग्रेस के सदस्य शिवकुमार यादव ने उन्हें फोन किया था। अध्यक्ष को बिना बताए सम्मेलन का आयोजन कैसे किया गया। इसके कुछ ही देर बार उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी तांबे का फोन आया। उन्हें विश्वास में लिए बिना सम्मेलन रद्द किए जाने की जानकारी दी। कांग्रेस सदस्य के फोन के बाद अचानक विभाग प्रमुख के सुर बदल गए। इसे लेकर समिति सदस्यों ने जमकर हंगामा किया। अन्य महिला सदस्यों ने भी उनका समर्थन कर विभाग प्रमुख को कटघरे में खड़ा किया। किसी के दबाव में अधिकारी के यूटर्न लेने का सदस्यों ने आरोप लगाया। सदस्यों का रोष बढ़ता देख अध्यक्ष ने जांच समिति गठित करने के निर्देश दिए। अध्यक्ष के निर्णय से असहमत सदस्यों ने इसे तीव्र विरोध किया। उन्होंने विभाग प्रमुख से सभागृह में माफी मांगने का प्रस्ताव रखा। सदस्यों की भावनाओं की कद्र करते हुए विभाग प्रमुख ने माफी मांगने पर हंगामा शांत हुआ। सभापति और सदस्य अपने-अपने आसन पर चले जाने के बाद बजट की कार्यवाही शुरू हुई। 

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