सरकारी योजनाओं से वंचित हैं गड़चिरोली के आदिवासी

सरकारी योजनाओं से वंचित हैं गड़चिरोली के आदिवासी

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-19 08:12 GMT
सरकारी योजनाओं से वंचित हैं गड़चिरोली के आदिवासी

डिजिटल डेस्क ,गड़चिरोली। जिला विस्तार में काफी बढ़ा है। साथ ही जिले में खनिज संपदा,वन संपदा बड़े पैमाने पर उपलब्ध है। किंतु प्रशासन के अधिकारी और जिले के जनप्रतिनिधियों की अनदेखी व उदासीन रवैए के कारण ही सरकार की कल्याणकारी योजनाएं उन तक नहीं पहुंची है। तहसील के दुर्गम परिसर के गांवों में अब तक बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं  है, इसलिए  जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को इस ओर गंभीरता से ध्यान देने की मांग स्थानीय नागरिकों ने की है। 

उल्लेखनीय है कि गड़चिरोली  आदिवासी बहुल, दुर्गम, पिछड़ा, उद्योग विरहित, नक्सल प्रभावित और अविकसित जिले के रूप में पहचाना जाता है। इस जिले का विकास करने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों रुपयों की निधि भेजी जाती है। इसके अलावा लोगों के विकास के लिए सरकार द्वारा विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं भी चलाई जा रही है। जिले में बड़े पैमाने पर प्राप्त निधि से जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को जिले का विकास करना होता है। किंतु जिले में आलम यह है कि, जनप्रतिनिधियों की अनदेखी और प्रशासन के अधिकारी कर्मचारियों के समन्वय के अभाव में जिले के दुर्गम परिसर में बसे गांवों के नागरिकों तक सरकार की इन योजनाओं का लाभ नहींं पहुंच पा रहा है। फलस्वरूप दुर्गम परिसर के लोग आज भी विकास से कोसों दूर है।

 जिले के दुर्गम परिसर तक जाने के लिए सड़कों का निर्माण नहीं किया गया है। इस कारण निजी व रापनि की बस सेवा सीधे नागरिकों तक नहीं पहुंच पा रही है। ऐसे में नागरिकों को बससेवा का लाभ लेेने के लिए कई किमी दूरी तक पैदल यात्रा करनी पड़ रहा है। क्षेत्र के अनेक गांवों में अब तक बिजली नहीं पहुंच पाने के कारण सैकड़ों गांवों के नागरिक आज भी अंधेरे में रह रहे है। इसके अलावा शिक्षा, पानी और स्वास्थ्य की समस्याएं गंभीर बनी है। हालांकि प्रशासन की ओर से दुर्गम परिसर में स्वास्थ्य सेवा शुरू की गई है, लकिन स्वास्थ्य कर्मचारी मुख्यालय में नहीं रहने के कारण इस परिसर के मरीजों को निजी डाक्टरों के पास जाने की नौबत आन पड़ी है। यही स्थिति शिक्षा विभाग और प्रशासन के विभिन्न विभागों की है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि जिला प्रशासन के कर्मचारी मुख्यालय में रहने के बजाय दूसरे गांवों में रहकर सेवा दे रहे हैं। 

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