गडकरी ने कहा मैं संन्यास लेकर हिमालय जा रहा हूं , जादूई कारनामा देख हंस पड़े लोग
गडकरी ने कहा मैं संन्यास लेकर हिमालय जा रहा हूं , जादूई कारनामा देख हंस पड़े लोग
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राजनीतिक दाव-पेंचों का बड़ी ही कुशलता के साथ सामना करने वाले नितीन गडकरी अपना इस्तीफा-पत्र पढ़कर ठहाके लगाने लगे। उन्होंने एक व्यक्ति की प्रशंसा में प्रमाण-पत्र पर साइन किया था। वह प्रमाण-पत्र ही उनके हाथ में उन्हीं का इस्तीफा-पत्र बनकर लौटा। केंद्रीय भूतल परिवहन व जलसंसाधन मामलों के मंत्री श्री गडकरी केंद्रीय राजनीति में काफी महत्व रखते हैं। उनके इस्तीफे के वाकये की चर्चा छिड़ते ही ठहाके फूट पड़े।
दीपावली मिलन कार्यक्रम में यह वाकया हुआ
दरअसल, गडकरी पिछले सप्ताह भर से नागपुर में ही थे। दीपावली उत्सव के दौरान उन्होंने शहर में विविध कार्यक्रमों में शिरकत किया। लोगों से मिलते जुलते रहे। इसी दौरान दिलीप चिंचपलातपुरे नामक संघ कार्यकर्ता के आवास पर आयोजित दीपावली मिलन कार्यक्रम में यह वाकया हुआ। चिंचपलातपुरे श्री गडकरी के पुराने मित्र भी हैं। कार्यक्रम में मनाेरंजन के लिए जादूगर एन.सी. सरकार को बुलाया गया था। एन.सी. सरकार ने विविध कार्यक्रम पेश किए। हाथ की सफाई की उनकी कला को सभी ने सराहा। प्रशंसा स्वरूप उन्होंने गडकरी से एक प्रमाण-पत्र लिखवा लिया। कुछ देर में वही प्रमाण-पत्र श्री गडकरी को पढ़ने को दिया गया। पत्र में लिखा था- मैं संन्यास लेकर हिमालय जा रहा हूं। अपने पद से त्यागपत्र दे रहा हूं। कल से मेरे पद की जिम्मेदारी एन.सी. सरकार संभालेंगे। पत्र पढ़ते हुए श्री गडकरी ठहाके लगाने लगे। उनके साथ बैठे लोग भी हंस पड़े।
यादें ताजा हुई , घटनाक्रम को भूले नहीं
गौरतलब है कि श्री गडकरी के साथ इस्तीफे की राजनीति का संवेदनशील विषय जुड़ा हुआ है। 2013 में भाजपा के अध्यक्ष रहते हुए उन्हें राजनीतिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ा था। भाजपा में इस बात पर बहुमत था कि श्री गडकरी ही दोबारा अध्यक्ष बने। उन्हें दोबारा अध्यक्ष बनाने के लिए भाजपा के संगठनात्मक संविधान में भी बदलाव कर लिया गया था, लेकिन बहुमत काम नहीं आया।
श्री गडकरी को अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। 2014 में केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में राजग सरकार बनने पर श्री गडकरी को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। उन्हें भूतल परिवहन के साथ ही शिपिंग व गंगा विकास के अलावा जलसंसाधन विभाग की जिम्मेदारी दी गई। इस बीच उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग का जिम्मा भी कुछ समय तक संभाला। केंद्र की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान पाने के बाद भी श्री गडकरी अध्यक्ष पद के इस्तीफे के घटनाक्रम को भूले नहीं है। विविध कार्यक्रमों व साक्षात्कारों में वे कहते रहते हैं- राजनीति छोड़ घर में बैठा रहूंगा पर कभी भाजपा का अध्यक्ष नहीं बनूंगा।