गांधी जयंती : श्री श्री रवि शंकर और नितिन गडकरी करेंगे विश्व शांति सम्मेलन का शुभारम्भ 

गांधी जयंती : श्री श्री रवि शंकर और नितिन गडकरी करेंगे विश्व शांति सम्मेलन का शुभारम्भ 

Tejinder Singh
Update: 2018-09-28 15:49 GMT
गांधी जयंती : श्री श्री रवि शंकर और नितिन गडकरी करेंगे विश्व शांति सम्मेलन का शुभारम्भ 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जन्म जयंती के अवसर पर अहिंसा, शांति, सद्भावना और समानता के संदेश को जन जन तक पहुंचने के उद्देश्य से शांतिदूत आचार्य लोकेश मुनि के मार्गदर्शन मे अहिंसा विश्व भारती संस्था देश के विभिन्न प्रान्तों में  24 कार्यक्रमों का आयोजन करने जा रही है। इसका शुभारंभ 30 सितम्बर को महानगर के बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सभागार होगा। सुबह 10 बजे से ‘अहिंसा के द्वारा विश्व शांति’ सम्मेलन का आयोजन किया गया है। 

 ‘अहिंसा विश्व भारती’ के ट्रस्टी एवं संस्थापक सदस्य गणपत कोठारी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य डा. लोकेश मुनि, आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर, 12 वें चेंगॉन केंटिंग ताल सितुपा, सैयदना ताहेर फक्करुद्दीन साहब के सन्निध्य मे होगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, रेल मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास आठवले, गजेन्द्र सिंह शेखावत के साथ राज्य के गृह निर्माण मंत्री प्रकाश मेहता, भाजपा विधायक राज पुरोहित सम्मेलन का उदघाटन करेंगे |

इस आयोजन के बारे में आचार्य लोकेश मुनि ने बताया कि ‘अहिंसा द्वारा विश्व शांति’ जनमानस को एक नई दिशा दिखाएगा। संस्था 24 सम्मेलनों का आयोजन करेगी जिसके माध्यम से महात्मा गांधी कि शिक्षाएं जन जन तक पहुंचाई जा सकेगी। यह न केवल एक ऐतिहासिक कदम है बल्कि राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाएगा। मुंबई से प्रारम्भ होकर विश्व शांति सम्मेलनों कि शृंखला पूरे भारत मे जाएगी। अहमदाबाद, दिल्ली, चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद, पटना, लखनऊ, भोपाल, जयपुर, चंडीगढ़, अमृतसर आदि स्थानों पर आयोजित होने वाले विश्व शांति सम्मेलनों से महात्मा गांधी के स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, नशा मुक्ति, अहिंसा, शांति, सद्भावना व सत्याग्रह जैसे आदर्श जन जन तक पहुंचेंगे और उनको अपनाने से एक नए आदर्श समाज कि संरचना को गति मिलेगी। 

आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि विश्व जिस विनाश के ज्वालामुखी पर खड़ा है उससे केवल अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही बचाया जा सकता है। महात्मा गांधी ने कहा था कि सिर्फ कर्म से ही नहीं, मन और वचन से भी हिंसा करने कि कोशिश नहीं करें। 

 

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