यूज्ड सेनेटरी नैपकिन पर्स में रखने को मजबूर यूनिवर्सिटी की छात्राएं

यूज्ड सेनेटरी नैपकिन पर्स में रखने को मजबूर यूनिवर्सिटी की छात्राएं

Anita Peddulwar
Update: 2018-12-19 05:46 GMT
यूज्ड सेनेटरी नैपकिन पर्स में रखने को मजबूर यूनिवर्सिटी की छात्राएं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर यूनिवर्सिटी की छात्राएं इस्तेमाल किया हुआ सेनेटरी नैपकिन अपने पर्स में रखने को मजबूर हैं। वे छह से 10 घंटे तक इसे पर्स में रखने के बाद घर ले जाकर फेंकती हैं। यूनिवर्सिटी में भारी असुविधाओं के चलते छात्राएं ऐसा करने के लिए मजबूर है। 

1 हजार छात्राओं के बीच मात्र 1 डिस्पोजल मशीन
40 विभाग की 1000 छात्राओं के बीच केवल एक सेनेटरी नैपकिन डिस्पोजल मशीन है, वह भी केवल एक विभाग में। उसे भी इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण तक नहीं दिया गया। जबकि यूजीसी इसके लिए सभी यूनिवर्सिटीज को गाइड लाइन जारी कर चुका है। जब  प्रभारी कुलसचिव को इस मामले की जानकारी दी तो वह भी हैरान रह गए। उन्होंने विभाग की गलती मानते हुए तत्काल उन्हें नोटिस देने की बात कही। 

कैंपस में सुविधाओं का अभाव
यूनिवर्सिटी के अमरावती रोड स्थित कैंपस में छात्राओं के लिए उचित सुविधाओं का घोर अभाव है। कैंपस में अध्ययन करने वाली करीब एक हजार छात्राएं बदहाल शौचालय की समस्या से जूझ रही हैं। यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार, प्रत्येक विश्वविद्यालय में सेनेटरी नैपकिन वेंडिंग एवं डिस्पोजल मशीन होना आवश्यक है। स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत इसके लिए फंड भी दिया जाता है। यूनिवर्सिटी ने कैंपस में एक वेंडिंग और डिस्पोजल मशीन लगाकर खानापूर्ति कर दी है। यूनिवर्सिटी  कैंपस में कुल 40 विभाग हैं, जहां लगभग 1000 छात्राएं हैं। इनके लिए यूनिवर्सिटी ने ग्राम ग्रीता भवन के महिला शौचालय में एक वेंडिंग और डिस्पोजल मशीन लगा रखी है। विवि में 30 के करीब महिला शौचालय है। स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों के अनुसार, हर शौचालय में इस प्रकार के प्रबंध अनिवार्य है। छात्राओं का कहना है कि उन्हें मजबूरन इस्तेमाल किया नैपकिन पेपर में लपेट कर घर ले जाना पड़ता है, क्योंकि इसको बीच में कहीं फेंकना और बाथरूम में छोड़ना उचित नहीं लगता। दूसरी ओर विवि में लगाई एक मात्र वेंडिंग और डिस्पोजल मशीन इस्तेमाल कैसे करनी है, इसको यूनिवर्सिटी प्रशासन बताना ही भूल गया। यही कारण है कि ग्रामगीता भवन में लगी यह मशीन धूल खा रही है। छात्राओं ने संवाददाता से इस पूरे मुद्दे पर खुलकर बात की और अपनी परेशानी भी बाताई। उनके अनुरोध पर हम खबर में उनके नाम नहीं दे रहे हैं। 

संक्रमण फैलने की आशंका
गंदे सेनेटरी नैपकिन को पास रखना या उचित तरीके से नष्ट नहीं करने पर संक्रमण फैल सकता है। प्राथमिक स्तर पर उल्टी, दस्त और बुखार जैसी समस्याएं हो सकती हैं। संक्रमण बढ़ने पर शरीर में जहर फैलने जैसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। इसलिए सेनेटरी नैपकिन का डिस्पोजल सही तरीके से करना चाहिए।  
-डॉ.शिल्पी सूद, स्त्री रोग विशेषज्ञ

विभागों को नोटिस देकर उन्हें जागरूक करने को कहा जाएगा
आपने जो समस्या बताई है, वह गंभीर है। सेनेटरी डिस्पोजल मशीनें तो विवि में कब की लगवा दी है। अभी तक उसका इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण क्यों नहीं दिया। हम तुरंत सभी विभाग प्रमुखों को नोटिस दे रहे हैं। छात्राओं को मशीन की जानकारी देने को कहेंगे। वहीं, शौचालयों में गंदगी नहीं होनी चाहिए, हम समय समय पर यह सुनिश्चित करते हैं। जो जीर्ण-शीर्ण है, उन्हें सुधरवा दिया जाएगा। जहां मशीनें बढ़ाने की जरूरत होगी, वहां इस पर भी विचार किया जाएगा।
- डॉ.नीरज खटी, प्रभारी कुलसचिव, नागपुर यूनिवर्सिटी

खिड़कियां टूटी हैं.. छात्र झांकते हैं
यूनिवर्सिटी के शौचालयों के दरवाजों से ही इतनी दुर्गंध आने लगती है कि छात्राएं भीतर जाने का साहस नहीं जुटा पातीं। आंखों देखा हाल जानने एवं छात्राओं से बातचीत करने पर पता चला कि कैंपस कैंटीन के पास के शौचालय की खिड़की जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। खिड़की के पार कुछ छात्र भी झांकते नजर आए। इधर भाषा विभाग के महिला शौचालय का दरवाजा टूटा हुआ है, जिस वजह से लड़कियां इस शौचालय का उपयोग नहीं करतीं। वहां से आने वाली दुर्गंध एवं बाहर आता गंदा पानी भी इसकी मुख्य वजह है। छात्राओं ने बताया कि वे कोशिश करती हैं कि उन्हें शौचालय नहीं जाना पड़े। इसके लिए उन्हें पानी कम पीने जैसे उपाए करने पड़ते हैं।
 

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