आदिवासियों की जमीन जनरल कैटेगरी में बदलने का गोरखधंधा!
आदिवासियों की जमीन जनरल कैटेगरी में बदलने का गोरखधंधा!
डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। आदिवासियों की जमीन को जनरल कैटेगरी में बदलने का गोरखधंधा बड़े लेवल पर चल रहा है। अब अनुसुचित जनजाति आयोग ने इस गोरखधंधे पर अपनी टेढ़ी नजर बना ली है। राष्ट्रीय आयोग की उपाध्यक्ष अनुसुईया उईके ने शनिवार को स्पष्ट किया कि छिंदवाड़ा सहित प्रदेश भर में चल रहे जमीन के इस खेल पर अधिकारियों को तलब किया जाएगा। जहां भी बड़े पैमाने पर आदिवासियों की जमीन को गैर आदिवासी किया गया है, उसकी जांच कराई जाएगी।
यदि जांच के बाद अफसर दोषी पाए जाते हैं। तो उन अफसरों पर भी कार्रवाई होगी, जिनके आदेश पर आदिवासियों की जमीन जनरल केटेगरी में तब्दील हुई है। प्रदेश के सभी कलेक्टरों से ये जानकारी मंगवाई जाएगी। सुश्री उईके ने बताया कि इसके अलावा जिन आदिवासियों के नाम पर गैर आदिवासियों ने जमीन खरीदी है ऐसे प्रकरणों में इंकम टैक्स डिपार्टमेंट के साथ मिलकर उन आदिवासियों के पास जमीन खरीदने के लिए कहां से पैसा आया। इसको भी जांच के दायरे में रखा जाएगा।
तामिया में पर्यटन डेवलपमेंट की अनुशंसा
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उईके ने बताया कि तामिया जैसे आदिवासी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पिछड़े आदिवासी निवास करते हैं। यहां यदि टूरिस्ट स्पॉट विकसित हुए तो निश्चित ही आदिवासियों को इसका लाभ होगा। आयोग की तरफ से तामिया में पर्यटन विकास की भी अनुशंसा केंद्रीय मंत्री से की जाएगी।
गुंडेरा अहीर विवाद सुलझेगा
गुंडेरा अहीर, गोंडी ग्वारी जाति को लेकर जो विवाद छिड़ा हुआ है उसको लेकर सुश्री उईके ने कहा कि आदिवासी संस्कृति से जुड़े लोगों को लाभ मिले, इसके लिए मेरे द्वारा मुख्यमंत्री सहित चीफ सेक्रेटरी को पत्र लिखकर उन्हें हक देने की मांग की गई है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट भी शासन को सौंपी है।
धनकसा खदान में आदिवासियों को दिलाएंगे न्याय
कोयलांचल की धनकसा खदान को लेकर सुश्री उईके ने कहा कि यहां आदिवासियों की जमीन लेकर वेकोलि ने न तो उन्हें नौकरी दी और न ही मुआवजा का पैसा दिया है। ऐसे में यहां के आदिवासी परेशान है। तकरीबन 150 परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट है। इन्हें आयोग के माध्यम से जल्द ही इंसाफ दिलाया जाएगा।