मध्यप्रदेश जाने वालों को बिहार की ट्रेन में बिठा दिया, जद्दोजहद के बाद नागपुर से पहुंचे अपने घर
मध्यप्रदेश जाने वालों को बिहार की ट्रेन में बिठा दिया, जद्दोजहद के बाद नागपुर से पहुंचे अपने घर
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मजदूरों के पलायन का सिलसिला थमा नहीं है। तमिलनाडु के तिरपुर क्षेत्र में एक कंपनी में काम करने वाली 9 युवतियां और 6 पुरुषों को कोई साधन नहीं मिला, तो उनको बिहार जाने वाली ट्रेन में बैठा दिया गया। यह ट्रेन नागपुर रेलवे स्टेशन पर रुकी, तो ट्रेन में सवार उक्त युवतियों और पुरुषों को उतरने नहीं दिया गया। आखिरकार हिम्मत कर चलती ट्रेन से युवतियां और पुरुष कूद गए। 29 मई को यह ट्रेन नागपुर आई थी। यह लोग नागपुर से मध्यप्रदेश जाने के लिए दर-दर भटक रहे थे। जिस दिन यह ट्रेन से उतरे तब भूखे-प्यासे थे।
अतिरिक्त आयुक्त ने की मदद
एक पुलिसवाले ने बिस्कुट का एक पैकेट दिया तो सभी लोगों बांटकर खाया और इन बिस्कुटों पर पूरी रात बिता दी। नागपुर से बालाघाट जाने के लिए इनसे किसी ने बस से ले जाने के लिए 7500 रुपए मांगे, तो किसी ने कहा कि, पैसे देने के साथ ही 25 लोग और लगेंगे, तब बस जाएगी। नागपुर में तीन चार दिन यह लोग भटकते रहे। ऐसे में इन्हें किसी ने समाजसेवी सचिन लोणकर का नंबर दिया। सचिन इन मजदूरों की व्यथा सुनने के बाद इन्हें अतिरिक्त पुलिस आयुक्त डॉ. नीलेश भरणे के पास ले गया। उन्होंने सभी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने में मदद की। सभी मजदूर करीब 2 वर्ष पहले तमिलनाडु स्थित तिरपुर जिले के इसीएम गारमेंट कंपनी में काम करने के िलए गए थे। इनमें महिला मजदूरों के पति भी उनके साथ थे। मध्यप्रदेश के बालाघाट, नैनपुर जिले के अलग-अलग गांवों के रहने वाले मजदूर अपने घर पहुंचे तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इन मजदूरों को सचिन अपने वाहन में लेकर खुद उन्हें छोड़ने गया। मजदूरों ने टोल नाका दिया और डीजल खुद भरवाया। डॉ. भरणे ने उन्हें ई-पास देकर उन्हें घर पहुंचने में मदद की।