महिला बाल विकास विभाग के विभागीय उपायुक्तों के निष्क्रिय कामकाज से सरकार नाराज

महिला बाल विकास विभाग के विभागीय उपायुक्तों के निष्क्रिय कामकाज से सरकार नाराज

Tejinder Singh
Update: 2018-07-16 14:36 GMT
महिला बाल विकास विभाग के विभागीय उपायुक्तों के निष्क्रिय कामकाज से सरकार नाराज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कुपोषण से लगातार हो रही बच्चों की मौत से घिरी प्रदेश सरकार राज्य के महिला व बाल विकास विभाग के 6 विभागीय कार्यालयों के विभागीय उप आयुक्तों की निष्क्रिय कामकाज से नाराज है। सरकार ने साफ कहा है कि महिला व बाल विकास विभाग की योजनाओं और कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से लागू करने के लिए विभागीय उप आयुक्त सक्रिय रूप से हिस्सा नहीं लेते हैं। इसके मद्देनजर अब सरकार ने विभागीय उप आयुक्तों को विभाग की योजनाओं के बारे में हर महीने समीक्षा करने का आदेश दिया है।

सोमवार को सरकार के महिला व बाल विकास विभाग ने इस संबंध में परिपत्रक जारी किया है। इसके अनुसार पुणे स्थित महिला व बाल विकास आयुक्त कार्यालय के माध्यम से लागू की जाने वाली योजना और कार्यक्रम तथा नई मुंबई के एकात्मिक बाल विकास सेवा योजना कार्यालय के माध्यम से चलाई जाने वाली योजना व उपक्रमों की जिलेवार समीक्षा विभागीय उप आयुक्त को करना पड़ेगा। विभागीय उप आयुक्तों को जिलों में शुरू योजनाओं की हर महीने समीक्षा अथवा सरकार की तरफ से जारी निर्देश के अनुसार समीक्षा करके अनुपालन रिपोर्ट सरकार के पास भेजना होगा।

सरकार ने कहा कि महिला व बाल विकास विभाग से जुड़े कुपोषण का मुद्दा अदालत और महाराष्ट्र विधानमंडल में बार-बार उठाया जाता है। महिला व बाल विकास विभाग की तरफ से जो योजनाएं लागू की गई हैं, उसके क्रियान्वयन की जानकारी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय कार्यालयों की है। लेकिन विभागीय उप आयुक्तों के सक्रिय सहयोग न करने से सरकार को जिला स्तर के अधिकारियों से सीधे जानकारी लेनी पड़ती है। 

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