आत्महत्या करने वाले किसानों की विधवाओं के लिए नीति तैयार करे सरकार, महिला आयोग की सिफारिश

आत्महत्या करने वाले किसानों की विधवाओं के लिए नीति तैयार करे सरकार, महिला आयोग की सिफारिश

Tejinder Singh
Update: 2018-12-07 12:38 GMT
आत्महत्या करने वाले किसानों की विधवाओं के लिए नीति तैयार करे सरकार, महिला आयोग की सिफारिश

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य महिला आयोग चाहता है कि राज्य के आत्महत्या ग्रस्त किसान विधवाओं के लिए एक विशेष नीति तैयार की जाए। साथ ही उनको दी जाने वाली आर्थिक मदद को बढ़ाने और घरकुल योजना में किसान परिवारों की महिलाओं को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव आयोग ने राज्य सरकार के सामने रखा है। दरअसल राज्य महिला आयोग की तरफ से बीते 22 व 23 फरवरी 2018 को नागपुर और 26 व 27 मार्च 2018 को औरंगाबाद में आत्महत्या ग्रस्त किसान परिवारों की महिलाओं की समस्याओं को लेकर आयोजित चर्चा सत्र में महिलाओं ने अपनी कई समस्याओं की चर्चा की थी।

खेती का सातबारा नाम पर न होने से उत्पन्न होने वाली समस्याएं, संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर परिजनों व रिश्तेदारों का विरोध, कर्ज वापस करने में होने वाले परेशानी की उल्लेख किया था। इन समस्याओं के निराकरण के लिए राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पास आयोग की सिफारिशे भेजी हैं।

महिला आयोग ने सरकार से की सिफारिश

  • इन सिफारिशों में  कहा गया है कि आत्महत्या करने वाले किसानों की विधवाओं के लिए विशेष नीति तैयार की जाए। 
  • सरकार की तरफ से दी जाने वाली आर्थिक सहायता की समीक्षा कर इसमे बदलाव की जरूरत है। फिलहाल 1 लाख रुपए की मदद दी जाती है। इसे बढ़ा कर 2 लाख किया जाए।    
  • खुद की जमीन न होने पर दूसरे के खेतों में काम करने वाले किसानों को सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता। इस लिए मापदंडों में बदलाव करने की जरूरत है। 
  • खेती की जमीन नाम पर न होने से विधवा महिलाओं को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिलता। इस लिए जमीन उनके नाम पर किए जाए।

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