रेप केस में डीएनए सैंपल लेते वक्त सावधानी जरूरी : कोर्ट

रेप केस में डीएनए सैंपल लेते वक्त सावधानी जरूरी : कोर्ट

Anita Peddulwar
Update: 2019-03-11 06:42 GMT
रेप केस में डीएनए सैंपल लेते वक्त सावधानी जरूरी : कोर्ट

डिजिटल डेस्क,नागपुर।  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में न्यायमूर्ति वी.एम.देशपांडे की खंडपीठ ने  स्पष्ट किया है कि रेप केस में आरोपी को सजा दिलाने के लिए ठोस सबूत जरूरी है। पीड़िता और आरोपी के डीएनए सैंपल इसमें सबसे अहम हैं। हाईकोर्ट ने अपने निरीक्षण में कहा कि डीएनए एक अत्याधुनिक तकनीक है, जो केवल जांच अधिकारी को ही नहीं, बल्कि न्यायालय को भी सच पता लगाने में मदद करती है। इससे अपराधी का दोष उभर कर सामने आता है। ऐसे में किसी भी दुराचार के मामले में सावधानीपूर्वक डीएनए सैंपल लेना बहुत जरूरी होता है। बालिकाओं से दुराचार के दो अलग-अलग मामलों में हाईकोर्ट ने डीएनए रिपोर्ट को मुख्य सबूतों में से एक मानते हुए फैसला दिया। एक में आरोपी को बरी कर दिया, तो दूसरे में उसकी सजा कायम रखी। 

इसलिए आरोपी बरी

गडचिरोली जिले के वियमपल्ली निवासी नागेश माडे (22) पर गांव की ही 8 वर्षीय बच्ची से दुराचार का आरोप था। गड़चिरोली सत्र न्यायालय ने आरोपी को पॉक्सो सेक्शन 6 के तहत दोषी मान कर 10 वर्ष की जेल और 1 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। आरोपी ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। घटना अप्रैल 2016 की है। बालिका के पिता घर पर नहीं थे, दोपहर को मां कुछ काम के लिए घर से बाहर गई थी। आरोपी ने बालिका को अकेला पर कर उसके साथ दुराचार किया था। बाद में बालिका के परिजनों को जानकारी देने के बाद पुलिस में आरोपी के खिलाफ एफआईआर कराई गई थी। इस मामले में पुलिस द्वारा घटनास्थल से सैंपल, कपड़े व अन्य सबुत जुटाए गए थे।, जिसके आधार पर कैमिकल एनालाइजर और डीएनए रिपोर्ट तैयार की गई थी। वहीं फरियादी मां और पीड़ित बच्ची मूलत: तेलुगू होने के कारण उनके बयान अनुवादक के माध्यम से दर्ज किए गए थे।  मामले में पीड़िता या आरोपी के यूरिन सैंपल से निष्कर्ष योग्य डीएनए नहीं मिल सका, साथ ही इससे जुड़ी प्रक्रिया में भी कोर्ट को कई कमियां मालूम हुई। ऐसे में हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी कर दिया। मामले में आरोपी की ओर से एड.राजेंद्र डागा ने पक्ष रखा। 

इधर सजा कायम 

हिंगणा तहसील के गिरोला निवासी प्रवीण गुबे (29) को नागपुर सत्र न्यायायल ने क्षेत्र की ही 6 वर्षीय बालिका के साथ दुराचार का दोषी मान कर पॉक्सो के तहत 10 साल की जेल और 15 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। निचली अदालत के फैसले को आरोपी ने  हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। घटना 1 फरवरी 2016 की है। बालिका घर के आंगन में खेल रही थी। तभी आरोपी उसे अपनी मोटरसाइकिल पर बिठा कर दुर्गम स्थान पर ले गया और घिनाैनी हरकत को अंजाम दिया। बाद मंे उसे घर छोड़ दिया। बालिका ने परिजनों को सारी बात बताई तो आरोपी के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद शहर के मेडिकल में पीड़िता का परीक्षण हुआ था। डीएनए परीक्षण में पीड़िता और आरोपी का डीएनए मैच हुआ। साथ ही इस प्रक्रिया पूरे नियमों का ठीक से पालन भी किया गया।  ऐसे में हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला कायम रखते हुए आरोपी की अपील खारिज कर दी। मामले में सरकार की ओर से सरकारी वकील एम.के.पठान ने पक्ष रखा।

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