ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में मांगा जवाब, याचिका पर भी जवाब-तलब

ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में मांगा जवाब, याचिका पर भी जवाब-तलब

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-27 14:02 GMT
ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में मांगा जवाब, याचिका पर भी जवाब-तलब

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट के जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने मेडिकल प्री-पीजी में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर जवाब पेश करने के लिए राज्य सरकार को दो सप्ताह का समय दे दिया है। इसके साथ ही राज्य सरकार को ओबीसी, एससी, एसटी एकता मंच की ओर से दायर हस्तक्षेप याचिका पर भी जवाब पेश करने के लिए कहा गया है। युगल पीठ ने 19 मार्च को मेडिकल प्री-पीजी में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण दिए जाने पर रोक लगा दी थी। इस मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

दायर याचिका में यह कहा
राज्य सरकार ने 8 मार्च 2019 को अध्यादेश जारी कर ओबीसी आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था। राइट टाउन निवासी असिता दुबे, भोपाल निवासी रिचा पांडे और सुमन सिंह की ओर से दायर याचिका में मेडिकल प्री-पीजी में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को चुनौती दी गई थी। अधिवक्ता आदित्य संघी ने तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट के न्याय दृष्टांतों के अनुसार आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। सुनवाई के बाद युगल पीठ ने मेडिकल प्री-पीजी में 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार को एक सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया था। बुधवार को राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक शेखर ने जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिए जाने की मांग की, जिसे स्वीकार करते हुए सुनवाई दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी गई है।

आरक्षण पर केवल सुप्रीम कोर्ट कर सकता है सुनवाई
ओबीसी, एससी, एसटी एकता मंच की ओर से हस्तक्षेप याचिका पेश कर कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 1993 में एम. नागराज और इंदिरा साहनी मामले में अभिनिर्धारित किया है कि वर्ष 1931 की जनगणना के अनुसार देश में ओबीसी की जनसंख्या 57 प्रतिशत है। इसलिए ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया कि मध्यप्रदेश देश में अकेला राज्य है, जहां ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। अधिवक्ता रामेश्वर ठाकुर ने कहा कि संवैधानिक पीठ ने यह भी स्पष्ट किया है कि आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई केवल सुप्रीम कोर्ट ही कर सकता है। युगल पीठ ने इस मामले में भी राज्य सरकार को जवाब पेश करने के लिए कहा है।

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