मुंबई लोकसभा चुनाव के बाद ही अरुण गवली को मिलेगी फर्लो

मुंबई लोकसभा चुनाव के बाद ही अरुण गवली को मिलेगी फर्लो

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-24 08:27 GMT
मुंबई लोकसभा चुनाव के बाद ही अरुण गवली को मिलेगी फर्लो

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने नागपुर मध्यवर्ती कारागृह में सजा काट रहे अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली को 28 दिन की फर्लो मंजूर की है। कोर्ट ने जेल प्रशासन को गवली को 30 अप्रैल से अगले 28 दिन के लिए रिहा करने को कहा है। मामले में राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में दलील दी थी कि 29 अप्रैल को मुंबई में लोकसभा चुनाव है। अभी गवली को फर्लो देने से मुंबई की शांति व्यवस्था बिगड़ सकती है।

बचाव में गवली के अधिवक्ता राजेंद्र डागा और मीर नगमान अली ने दलील दी कि पूर्व में जब भी गवली को पेरोल या फर्लो दी गई, उसने किसी भी नियम या शांति व्यवस्था काे भंग नहीं किया। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद मुंबई लोकसभा चुनावों के बाद से यानी 30 अप्रैल से गवली की फर्लो मंजूर की है। शिवसेना के नगरसेवक कमलाकर जामसोंकर की हत्या के आरोप में गवली नागपुर मध्यवर्ती कारागृह में उम्रकैद की सजा काट रहा है। हाल ही में गवली ने परिवार से मिलने के लिए जेल प्रशासन के पास फर्लो का आवेदन किया था। लेकिन जेल प्रशासन ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी। जिसके बाद उसने हाईकोर्ट की शरण ली थी।

एलआईटी की नियुक्ति प्रक्रिया में उम्मीदवार को हाईकोर्ट से मिली राहत
लक्ष्मीनारायण इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में नियुक्ति के लिए दो श्रेणियों में अपात्र करार दिए गए उम्मीदवार ने नागपुर विश्वविद्यालय के खिलाफ हाईकोर्ट की शरण ली है। डॉ. सुरजीत कुमार साहा ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के अनुसार उनके पास ऑइल टेक्नोलॉजी में एम.टेक और पीएचडी की डिग्री है। वे एलआईटी में बीते 19 वर्षों से बताैर कांट्रिब्यूटरी शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 25 जनवरी को नागपुर यूनिवर्सिटी  ने एलआईटी में 17 शिक्षक पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया। इसमें 7 प्रोफेसर, 3 एसोसिएट प्रोफेसर और 7 असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों का समावेश था।

याचिकाकर्ता ने तीनों श्रेणियों में आवेदन किए। लेकिन नागपुर यूनिवर्सिटी ने 3 अप्रैल को उन्हें केवल असिस्टेंट प्रोफेसर पद के इंटरव्यू के लिए कॉल लेटर भेजा। पूछताछ करने पर अन्य दो श्रेणियों में आवेदन करने के लिए उन्हें अपात्र करार दिया गया। याचिकाकर्ता का दावा है कि एआईसीटीकी और विज्ञापन के नियमों के अनुसार पात्रका के लिए उम्मीदवार के पास 13 वर्षों के प्रोफेसर और 5 वर्षों के एसोसिएट प्रोफेसर पद का अनुभव होना जरूरी है और उनके पास सभी पात्रताएं हैं। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने नागपुर विवि को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। तक तक उम्मीवार को सभी तीन श्रेणियों में साक्षात्कार देने की अनुमति दी गई है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. आनंद परचुरे और एड. ओंकार देशपांडे ने पक्ष रखा।

Tags:    

Similar News