राज्य सरकार नहीं कर सकती NIT को बर्खास्त, हाईकोर्ट के आदेश बरकरार

राज्य सरकार नहीं कर सकती NIT को बर्खास्त, हाईकोर्ट के आदेश बरकरार

Anita Peddulwar
Update: 2018-10-11 07:31 GMT
राज्य सरकार नहीं कर सकती NIT को बर्खास्त, हाईकोर्ट के आदेश बरकरार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने उस अंतरिम आदेश को कायम रखा है, जिसमें उन्होंने राज्य सरकार को NIT (नागपुर सुधार प्रन्यास ) की बर्खास्तगी और इससे जुड़ा अन्य कोई भी फैसला लेने से रोका था। कोर्ट ने यह आदेश जारी कर मामले को अंतिम सुनवाई के लिए दायर किया है। हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में राज्य सरकार के NIT को बर्खास्त करने के फैसले का विरोध किया गया है। सत्यवर्त दत्ता ने अपनी इस याचिका में कहा है कि NIT का गठन शहर के विकास के लिए किया गया था।लेकिन भू-खंड नियमितिकरण और जल निकासी जैसी अहम सुविधाएं देेने वाली इस संस्था से सरकार को ही फायदा मिल रहा है। याचिकाकर्ता ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर राजकीय लाभ के लिए NIT को बर्खास्त करने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने बीती सुनवाई में  राज्य सरकार को अंतरिम आदेश दिए थे कि वे NIT की किसी योजना में अपनी ओर से काेई परिवर्तन न करे। बता दें कि NIT को बर्खास्त करने का विषय आए दिन उठते रहता है लेकिन कानूनी दांवपेंच के चलते स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है।

यह है मामला
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य सरकार ने 27 दिसंबर 2016 को मंत्रिमंडल में नासुप्र को बर्खास्त करके उसके सभी अधिकार मनपा को सौंपने का फैसला लिया। समायोजन की यह प्रक्रिया 31 दिसंबर 2017 तक पूर्ण की जानी थी। इसके लिए प्रधान सचिव की अध्यक्षता में समिति भी गठित की गई थी। याचिकाकर्ता का दावा है कि नासुप्र से सरकार को आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि फायदा है। सरकार ने विविध विकास कार्यों का हवाला देकर नासुप्र से राशि ली, मगर लौटाई नहीं। इधर अब तक नासुप्र के कर्मचारियों के स्थानांतरण पर भी कोई फैसला नहीं हुआ है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. श्रीरंग भंडारकर ने पक्ष रखा दूसरी ओर मनपा की आर्थिक स्थिति खराब है। मनपा में नासुप्र कर्मचारियों का समावेश हुआ, तो मनपा की स्थिति और बिगड़ेगी।


 

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