अंग प्रत्यारोपण वाली अस्पताल कमेटियों पर नजर रखे सरकार : हाईकोर्ट

अंग प्रत्यारोपण वाली अस्पताल कमेटियों पर नजर रखे सरकार : हाईकोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-19 17:27 GMT
अंग प्रत्यारोपण वाली अस्पताल कमेटियों पर नजर रखे सरकार : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार अंग प्रत्यारोपण से जुड़ी अस्पताल आधारित कमेटी पर निगरानी रखे। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की ये कमेटियां नियमों के तहत काम कर रही हैं। अस्पताल कमेटियां को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे अंग प्रत्यारोपण से जुड़ी ताजा जानकारी सरकार की वेबसाइट पर तुरंत अपलोड करे। 

नियमानुसार जिन अस्पतालों में साल भर में अंग प्रत्यारोपण के 25 आपरेशन किए जाते हैं, वहां अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण के लिए अस्पताल आधारित कमेटी बनाने की अनुमति है। मरीज को अंग प्रत्यारोपण की अनुमति  के लिए इसी कमेटी से मंजूरी लेनी पड़ती है। लेकिन जिन अस्पतालो में साल भर में 25 से कम अंग प्रत्यारोपण होते हैं, उन अस्पतालों के मरीजों को सरकार की प्रधिकृति कमेटी से मंजूरी लेनी पड़ती है।

जस्टिस अभय ओक व जस्टिस एमएस सोनक की खंडपीठ ने सरकार को इस संबंध में नीतिगत निर्णय लेकर सभी अस्पतालों को जरुरी निर्देश व परिपत्र जारी करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने कहा कि सरकार आश्वस्त करे की जिन अस्पतालों में साल भर में 25 से कम अंग प्रत्यापरोपण किए जाते हैं, ऐसे अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण से जुड़ी कमेटी काम न करे। खंडपीठ ने कहा कि सरकार ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे उसे अंग प्रत्यारोपण से जुड़े ताजे आकड़े जल्द से जल्द मिल सके और अंग प्रत्यारोपण से जुड़ी अस्पताल आधारित कमेटी पर नजर भी रखी जा सके। इसके साथ ही सरकार अंग प्रत्यारोपण से जुड़े नियमों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए प्रचार-प्रसार के संबंध में प्रभावी कदम उठाए। 
 
पहले अंग प्रत्यारोपण से जुड़े मामलों को देखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की प्राधिकृत कमेटी के पास था लेकिन सरकार ने अब अंग प्रत्यारोपण को लेकर केंद्र सरकार के कानून को अपनाया है लिहाजा जिन अस्पतालों में साल भर में अंग प्रत्यारोपण के 25 आपरेशन किए जाते हैं, उन्हें अंग प्रत्यारोपण की मंजूरी देने के लिए अस्पताल आधारित कमेटी बनाने की अनुमति है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 5 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। और सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। इस विषय पर महानगर निवासी सिद्धांत पाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

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