हाईकोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर लगाई रोक

हाईकोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर लगाई रोक

Bhaskar Hindi
Update: 2019-03-19 09:16 GMT
हाईकोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर लगाई रोक

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाईकोर्ट जबलपुर ने शिक्षण संस्थानों में ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण पर रोक लगा दी है। इस आदेश से मप्र की कमलनाथ सरकार को झटका लगा है। जस्टिस आरएस झा व संजय द्विवेदी की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि 25 मार्च से होने वाली एमबीबीएस की काउंसिलिंग ओबीसी के 14 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर की जाएगी।

जबलपुर निवासी असिता दुबे,भोपाल निवासी ऋचा पान्डे और सुमन सिंह की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि संविधान के अनुच्छेद 16 में प्रावधान है कि एससीएसटी-ओबीसी को मिलाकर आरक्षण 50 प्रतिशत से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। वर्तमान में एससी को 16 प्रतिशत, एसटी को 20 और ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण मिल रहा है। मध्यप्रदेश सरकार ने 8 मार्च को अध्यादेश जारी कर ओबीसी का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढाकर 27 कर दिया, जो कि असंवैधानिक है। अधिवक्ता आदित्य संघी के तर्कों को सुनने के बाद निर्णय सुनाया।

इससे पहले 6 मार्च को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को पारित किया गया था कि प्रदेश में ओबीसी के 14 फीसदी आरक्षण लागू है उसे बढ़ाकर 27 फीसदी किया जाए। अध्यादेश को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने स्वीकृति दे दी थी। ओबीसी के लिए आरक्षण बढ़ाने में कमलनाथ सरकार ने काफी जोश दिखाया, लेकिन केंद्र सरकार के गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण को प्रदेश में अबतक लागू नहीं किया गया है। कमलनाथ सरकार ने इसके लिए एक समिति बना दी है, जो इसका अध्ययन कर इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेंगी, लेकिन आचार संहिता लागू हो गई है। जिस कारण मप्र में गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाएगा। 
 

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