अंधेरी पुल हादसे पर हाईकोर्ट तल्ख, कहा- प्रशासन लोगों को सिर्फ मरते हुए नहीं देख सकता

अंधेरी पुल हादसे पर हाईकोर्ट तल्ख, कहा- प्रशासन लोगों को सिर्फ मरते हुए नहीं देख सकता

Tejinder Singh
Update: 2018-07-04 14:31 GMT
अंधेरी पुल हादसे पर हाईकोर्ट तल्ख, कहा- प्रशासन लोगों को सिर्फ मरते हुए नहीं देख सकता

डिजिटल डेस्क, मुंबई। प्रशासन लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ सकता है, पुलों की देखरेख उसकी जिम्मेदारी है। महानगर के अंधेरी इलाके हुए रेलवे पुल के हादसे के संदर्भ में बांबे हाईकोर्ट ने बुधवार को यह तल्ख टिप्पणी की है। मंगलवार को हुए इस हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि मनपा प्रशासन से जुड़े हुए लोगों के लिए यह कहना आसान है कि वह रेलवे की संपत्ति थी लिहाजा उसका लेना देना नहीं है। इस रुख को उचित नहीं माना जा सकता है। प्रशासन सिर्फ लोगों को मरते हुए नहीं देख सकता है। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए 12 जुलाई को राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी व एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह को पैरवी के लिए बुलाया है।

जस्टिस नरेश पाटील और जस्टिस गिरीष कुलकर्णी की बेंच ने कहा कि राज्य सरकार परिवहन के लिए सिर्फ रेलवे पर क्यों निर्भर है वह दूसरे विकल्प जैसे जल परिवहन के बारे में  विचार क्यों नहीं करती है? महानगर में रोजाना सफर के दौरान नौ लोगों की मौत हो जाती है। मंगलवार को हुए हादसे के लिए कौन जिम्मेदार है? आखिर समय रहते क्यों पुल की देखरेख क्यों नहीं की गई? प्रशासन से जुड़े लोगों को इस मसले पर गंभीर होना पड़ेगा। और विशेषज्ञों से सभी पुलों का ऑडिट कराना पड़ेगा। आखिर यह कैसे होता है कि ट्रेन आती रहती है और पुल गिर जाता है। बेंच ने कहा कि पुलों को देखने के लिए एक अलग से प्राधिकरण होना चाहिए।

बेंच के सामने महानगर निवासी स्मिता ध्रुव की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मांग की गई है कि  रेलवे को रेलवे स्टेशनों पर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम व उपाय करने तथा प्लेटफार्म में इकट्ठा होनेवाली भीड़ के प्रबंधन को लेकर उचित व्यवस्था के करने के लिए निर्देश दिया जाए। यह याचिका पिछले साल एलफिस्टन रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के बाद दायर की गई थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि हमने प्रशासन से पहले ही आग्रह किया था कि महागनर के सभी ब्रिजो का आडिट किया जाए पर किसने उनकी बात को गंभीरता नहीं लिया।

बेंच ने कहा कि मुख्य रुप से यह मुंबई महानगरपालिका प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह पुलों को देखे। यदि कोई उसकी बात को नहीं सुनता है तो उसे कोर्ट में आना चाहिए। क्योंकि यह कहना बेहद आसान है कि जहां हादसा हुआ है वह रेलवे की संपत्ति है।
 

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