निजी कोचिंग क्लासेस को जूनियर कॉलेज की अनुमति देने पर राज्य सरकार को फटकार

निजी कोचिंग क्लासेस को जूनियर कॉलेज की अनुमति देने पर राज्य सरकार को फटकार

Tejinder Singh
Update: 2018-07-19 15:53 GMT
निजी कोचिंग क्लासेस को जूनियर कॉलेज की अनुमति देने पर राज्य सरकार को फटकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने निजी कोचिंग क्लासेस को जूनियर कॉलेज शुरु करने की अनुमति देने के मुद्दे पर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार यह अनुमति देकर संकेत देना चाहती है कि यदि किसी के पास पैसा है तो वह कही पर भी शिक्षा की दुकान लगा सकता है और बच्चों को पढना शुुरु कर सकता है। जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस भारती डागरे की बेंच ने गुरुवार को मुंबई निवासी विजय भंडारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह तल्ख टिप्पणी की।

बेंच ने कहा कि कोई किसी भी तरह की पुरानी इमारत में कोचिंग क्लास खोल लेता है। वहां पर लाइट है कि नहीं, हवा आती जाती है या नहीं कोचिंग क्लास में जरुरी स्टाफ है की नहीं वह लाइब्रेरी है की नहीं। जूनियर कालेज चलानेवाले कोचिंग क्लास चलानेवाली संस्था पंजीकृत है कि नहीं इसकी किसी को चिंता नहीं है। स्वा वित्तपोषित होने के नाम पर कोचिंग क्लासेस अपने यहां पर चलनेवाले जूनियर कालेज की मनमाने तरीके से फीस भी तय कर रहे है। याचिका में दावा किया गया है कि सरकार कोचिंग क्लासेस को स्वा वित्तपोषित होने के नाम पर कांलेज शुरु करने की अनुमति दे रही है। नियमानुसार ऐसा नहीं किया जा सकता है।

बेंच ने कहा कि शिक्षा के मॉडल को लेकर यदि सरकार विदेशों की नकल करना चाहती है तो कुछ अच्छी चीज की नकल करे। क्योंकि विदेशों में स्वा वित्तपोषित होने के नाम पर किसी को भी शिक्षा की दुकान खोलने की इजाजत नहीं है।याचिका में दावा किया गया है कि सेल्फ फाइनेंस स्कूल इस्टेबलिसमेंट एंड रेग्युलेशन अक्ट 2102 के मुताबिक जूनियर कालेज शुरु करने के लिए कम से कम आधा एकड़ जमीन होनी चाहिए। शैक्षणिक संस्थान खोलनेवाले की वित्तीय स्थिति भी मजबूत होनी चाहिए। कोचिंग में चलनेवाले कालेज में मूलभूत सुविधाएं होनी चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि जूनियर कालेज शुरु करने की अनुमति की मांग को लेकर दो कोचिंग क्लासेस ने जो आवेदन किया था उसमे उन्होंने अपने यहां दी जानेवाली सुविधाओं का जिक्र तक नहीं किया था। फिर भी सरकार ने उन्हें मंजूरी प्रदान कर दी। यह न सिर्फ नियमों के खिलाफ है बल्कि सरकार की उस नीति के भी विपरीत है जिसके तहत जूनियर कालेज शुरु करने की अनुमति दी जाती है। याचिका में मांग की गई है कि सेल्फ फाइनेंस स्कूल इस्टेबलिसमेंट एंड रेग्युलेशन अक्ट 2102 के प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जाए। मामले से जुड़े प्रतिवादियों को याचिका की प्रति न मिलने की बात जानने के बाद बेंच ने मामले की सुनवाई 8 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। 

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