स्वास्थ्य सेवा का बुरा है हाल, 30 लाख की आबादी पर 35 डॉक्टर, 20 एमबीबीएस

स्वास्थ्य सेवा का बुरा है हाल, 30 लाख की आबादी पर 35 डॉक्टर, 20 एमबीबीएस

Anita Peddulwar
Update: 2020-06-27 09:56 GMT
स्वास्थ्य सेवा का बुरा है हाल, 30 लाख की आबादी पर 35 डॉक्टर, 20 एमबीबीएस

डिजिटल डेस्क, नागपुर ।  शहर में नागपुर महानगरपालिका संचालित 36 स्वास्थ्य केंद्रों पर कुल 35 चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है। जहां कार्यरत 20 एमबीबीएस और 15 बीएएमएस चिकित्सकों में अधिकांश मानदेय पर हैं। इन्हीं पर शहर की 35 लाख की आबादी की देखभाल का जिम्मा है। यही हाल जिला परिषद द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित 49 स्वास्थ्य केंद्रों का भी है, जबकि मनपा और जिला परिषद, दोनों को नागपुर जिले के निवासियों को गारंटेड स्वास्थ्य सेवाएं देना अनिवार्य है। नागपुर में सरकारी चिकित्सकों और अस्पतालों की कमी पर प्रकाश डालती सत्यव्रत दत्ता और धर्मदास बागड़े की याचिका पर शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई, जिसमें याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर हाईकोर्ट ने प्रतिवादी राज्य सरकार और महानगरपालिका को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. सी.पी.चांदुरकर और मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक ने पक्ष रखा।

यह है मामला
याचिकाकर्ता के अनुसार किसी भी क्षेत्र के निवासियों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का जिम्मा स्थानीय स्वराज संस्था पर होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार 30,000 की जनसंख्या पर एक स्वास्थ्य केंद्र होना चाहिए और 1000 व्यक्तियों पर 1 एमबीबीएस चिकित्सक होना चाहिए। निजी अस्पतालों और राज्य सरकार द्वारा संचालित शासकीय चिकित्सा अस्पताल और महाविद्यालय (मेडिकल)  व इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा अस्पताल और महाविद्यालय (मेयो) को छोड़ दें तो मनपा ने अपनी ओर से किसी बड़े अस्पताल की स्थापना शहर में नहीं की है। जिला परिषद का रवैया भी ऐसा ही है। शहर की जनसंख्या और दिन-ब-दिन हो रहे विस्तार को देखते हुए नए अस्पतालों और सरकारी चिकित्सकों की नियुक्ति जरूरी है।

कोरोना पीड़ितों को मिले मुआवजा
याचिकाकर्ता ने स्वास्थ्य मानकों और नियमों का हवाला देते हुए कोर्ट से प्रार्थना की है कि, वे  दोनों संस्थाओं को अपने-अपने क्षेत्र में 500 बेड का एक-एक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल स्थापित करने का आदेश दें। इसी के साथ शहर में कोरोना संक्रमण के कारण जो तबाही हुई है, उसमें पीड़ितों को मुआवजा मिलना चाहिए। मृतकों के परिवार को 5 लाख रुपए का मुआवजा और संक्रमित-क्वारेंटाइन किए गए लोगों को 500 रुपए प्रतिदिन का मुआवजा मिलना चाहिए। मामला अब कोर्ट में विचाराधीन है। 

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