17 किलो का बैग लेकर चलता है चौथी का स्टूडेंट

17 किलो का बैग लेकर चलता है चौथी का स्टूडेंट

Bhaskar Hindi
Update: 2017-06-13 11:18 GMT
17 किलो का बैग लेकर चलता है चौथी का स्टूडेंट

टीम डिजिटल, भोपाल. मध्यप्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले चौथी क्लास का प्रत्येक बच्चा लगभग 17 किलो वजन का स्कूल बैग रखता है. यही कारण है कि 68 फीसदी स्कूली बच्चों को पीठ, गर्दन, कंधे, रीढ़ की हड्डी व अन्य अन्य जगह दर्द व दूसरी तकलीफ होने की शिकायत रहती है. यह खुलासा जीएमसी के पीएसएम विभाग में हुए एक रिसर्च में हुआ है. 

विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पद्मा भाटिया व डॉ.मंजू दुबे के अनुसार छात्र के वजन का करीब 10 फीसदी ही स्कूल बैग का वजन होना चाहिए, लेकिन स्टडी में बैग का औसत वजन छात्रों के वजन का करीब 18 फीसदी निकला है. शहर के चार बड़े स्कूलों में क्लास 4 से 8 के बीच 950 बच्चों का खुद का वजन और बैग का वजन निकाला गया तो यही चौंकाने वाली जानकारी सामने आई. स्टडी पिछले साल सितंबर से नवंबर के बीच राजधानी के चार बड़े निजी स्कूलों में की गई.

पीएसएम विभाग के एचओडी डॉ. डीके पाल ने मामले में कहा है कि इस स्टडी का मकसद यह पता करना था कि क्या वाकई में छात्रों के बैग का वजन उनकी क्षमता से ज्यादा है. यदि हां, इससे उन्हें क्या-क्या दिक्कतें हो रही हैं। इन दिक्कतों का कम कैसे किया जा सकता है.

जिन बच्चों ने पीठ, कंधे में दर्द या फिर अन्य तरह की तकलीफ की शिकायत की उनमें से डॉक्टर के पास दिखाने के लिए सिर्फ 22 फीसदी बच्चे ही पहुंचे। यानी बाकी 78 फीसदी ने या तो इसे गंभीरता से नहीं लिया या फिर यह सोचकर दिखाने नहीं गए कि ठीक हो जाएगा।

डॉक्टरों ने बताया है कि 5 फीसदी छात्रों का बैग एक स्ट्रेप को होने के कारण कंधे पर ज्यादा वजन पड़ता है. जबकि 5 फीसदी छात्र सिर्फ एक स्ट्रेप से बैग टांगते, जिससे तकलीफ बढ़ती है. बैग के वजन से 46 फीसदी बच्चे आगे की ओर झुककर चलते हैं, जिससे रीढ़ की हड्डी में तकलीफ हो सकती है. वजन एक पोजीशन में 20 मिनट से ज्यादा देर तक नहीं रखना चाहिए, लेकिन 41 फीसदी छात्र ऐसा करते हैं.

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