सड़ी सुपारी के कारोबार पर लगाम लगाएगी CBI, हाईकोर्ट के आदेश

सड़ी सुपारी के कारोबार पर लगाम लगाएगी CBI, हाईकोर्ट के आदेश

Anita Peddulwar
Update: 2018-10-11 06:02 GMT
सड़ी सुपारी के कारोबार पर लगाम लगाएगी CBI, हाईकोर्ट के आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने नागपुर और विदर्भ भर में सड़ी और हानिकारक सुपारी के फैले कारोबार पर लगाम कसने की जिम्मेदारी CBI को सौंपा है। कोर्ट ने डॉ. मेहबूब चिंथामनवाला द्वारा दायर फौजदारी जनहित याचिका में CBI को प्रतिवादी बना कर जांच सौंपी है। वहीं मामले में केंद्र और राज्य सरकार समेत संबंधित विभाग को निर्देश दिए हैं कि वे यह सुनिश्चित करें कि भारत में कहीं से भी सड़ी और हानिकारक सुपारी आयात न हो सके। प्रकरण में हुई सुनवाई में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने नागपुर से लिए गए 30 सुपारी के सैंपल पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दावा किया कि यह सुपारी निकृष्ट दर्जे की है और खाने योग्य नहीं है। इसमें इल्लियां हैं और इसे खाने से कैंसर हो सकता है। 

31 तक देना है जवाब
बता दें कि पूर्व में एफडीए ने ऐसे ही सैंपलों को खाने योग्य बताया था। मामले में न्यायालयीन मित्र एड. आनंद परचुरे ने दावा किया कि भारत में इंडोनेशिया से नेपाल होते हुए यह हानिकारक सुपारी लाई जा रही है। नागपुर के कई व्यापारियों को इसकी जानकारी होने पर भी वे स्टॉक ले रहे हैं। इधर याचिकाकर्ता डॉ. चिंथामनवाला के अधिवक्ता रसपाल सिंह रेणु ने ऐसे कुछ व्यापारियों के नाम हाईकोर्ट में प्रस्तुत किए। कोर्ट के निरीक्षण में यह निकल कर आया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के इस सड़ी सुपारी के सिंडिकेट का भंडाफोड़ करने के लिए मामले की जांच CBI को सौंपना जरूरी है। कोर्ट ने CBI को प्रतिवादी बनाकर उन्हें नोटिस जारी कर 31 अक्टूबर तक जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 4 सप्ताह बाद रखी गई है। 

सरकार के राजस्व को करोड़ों की चपत
याचिकाकर्ता मेहबूब चिंथामनवाला के अनुसार नागपुर में प्रतिदिन 500 करोड़ रुपए की सुपारी का व्यवसाय होता है। मूल रूप से यह सुपारी इंडोनेशिया की है। उत्पादन के दौरान खराब सुपारी वहां डंपिंग यार्ड में फेंक दी जाती है, जिसे नागपुर मंगाया जाता है। याचिकाकर्ता के अनुसार यह शहरवासियों की जान से खिलवाड़ है। नियमानुसार यह सुपारी इंडोनेशिया से भारत में आयात की जाए, तो इस पर 113 प्रतिशत ड्यूटी लगती है। अगर भारत सार्क देशों के किसी सदस्य देश से सुपारी मंगाए, तो उस पर मात्र 7 से 13 प्रतिशत ड्यूटी चुकानी पड़ती है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रसपाल सिंह रेणु के अनुसार नागपुर शहर के कुछ सुपारी व्यापारियों ने इंडोनेशिया और नेपाल (जो कि सार्क सदस्य देश हैं) मंे फर्जी कंपनियां खोल रखी हैं। इंडोनेशिया मंे तैयार सुपारी फर्जी कंपनी की मदद से पहले नेपाल भेजी जाती है, फिर वहां से भारत। ऐसा करके धोखाधड़ी करने वाले व्यापारी सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगाते हैं। 

यह था मामला
याचिकाकर्ता के अनुसार इंडोनेशिया में यह सुपारी सड़क किनारे कचरे में फेंक दी जाती है, जबकि वही सुपारी उठाकर नेपाल के रास्ते यहां मंगाई जा रही है। आयात कानूनों को दरकिनार कर व्यापारी करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। इस याचिका में उन्होंने समय-समय पर नागपुर और आसपास के इलाकों में पकड़ी कई सड़ी सुपारी का भी मुद्दा उठाया गया है। कई बार पकड़ी गई सुपारी किन व्यापारियों को सौंपी जाती है, इसकी जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की जाती।
 

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