पूर्व शिवसेना सांसद अडसुल को अग्रिम जमानत देने से हाईकोर्ट का इंकार

कोर्ट ने कहाः प्रथम दृष्टया घोटाले में नजर आ रही भूमिका  पूर्व शिवसेना सांसद अडसुल को अग्रिम जमानत देने से हाईकोर्ट का इंकार

Anita Peddulwar
Update: 2021-12-03 13:06 GMT
पूर्व शिवसेना सांसद अडसुल को अग्रिम जमानत देने से हाईकोर्ट का इंकार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सिटी को-आपरेटिव बैंक से जुड़े मामले में मनी लांड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे शिवसेना के पूर्व सांसद आनंद राव अडसुल को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट पहुंचे अडसुल को अदालत ने राहत देने से मना करते हुए उनके जमानत आवेदन को खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट ने ईडी की ओर से मामले से जुड़ी जांच सामग्री को देखने के बाद कहा कि प्रथम दृष्टया इस मामले में अडसुल की भूमिका नजर आ रही है।  इससे पहले अडसुल ने मुंबई की विशेष अदालत में जमानत के लिए आवेदन दायर किया था लेकिन वहां से भी अडसूल को कोई अंतरिम राहत नहीं मिली थी। इसलिए अडसुल ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत आवेदन दायर किया था। न्यायमूर्ति नीतिन सांब्रे के सामने अडसुल के जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान अडसुल की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक मुंदरगी ने कहा कि मेरे मुवक्किल की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है। वे जांच में पूरी तरह से सहयोग करने को तैयार हैं। मेरे मुवक्किल बैंक के चेयरमैन जरुर थे लेकिन कर्ज बांटने से उनका संबंध नहीं था। बैंक के स्टाफ व अधिकारियों ने कर्ज की राशि मंजूर की थी। इसके अलावा मेरे मुवक्किल ने खुद बैंक की गड़ब़ड़ियों को लेकर मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई है।

 राज्य का सहकारिता विभाग भी इस मामले को देख रहा है। उन्होंने कहा कि मेरे मुवक्किल कर्ज के लेन-देन से जुड़ी सारी जानकारी ईडी के अधिकारियों के सामने स्पष्ट करने को तैयार हैं। बस उन्हें गिरफ्तारी से राहत प्रदान की जाए। वहीं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने अडसूल की गिरफ्तारी से राहत दिए जाने की मांग का विरोध करते हुए कहा कि हमारे पास कई ऐसे दस्तावेजी सबूत हैं जो इस मामले में आरोपी (अडसुल ) की भूमिका को दर्शाते हैं। प्रथम दृष्टया हमारे पास अडसुल के खिलाफ काफी मजबूत मामला है। इस दौरान उन्होंने न्यायमूर्ति को मामले की जांच से जुड़े दस्तावेज सौंपे। जिन्हें देखने के बाद न्यायमूर्ति ने पाया कि आरोपी जब साल 2005 में चुनाव जीतने के बाद बैंक के चेयरमैन बने तो वहां उनके कार्यकाल में 190 नॉन परफार्मिंग एस्सेट्स (एनपीए) से जुड़े खाते मिले हैं। इसमे से 56 खाते ऐसे है जिनमें आरोपी (अडसुल ) के करिबियों व रिश्तेदारों को कर्ज दिया गया है। इसक साथ ही कर्ज के बदले गिरवी रखी गई चीज की कीमत को काफी ज्यादा आंका गया है। न्यायमूर्ति ने कहा कि प्रथम दृष्टया इस माममे में अडसुल की भूमिका नजर आ रही है। इसलिए आरोपी को अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती है।  
    

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