हाईकोर्ट ने एयर इंडिया कैप्टन के खिलाफ दर्ज मामला रद्द करने से किया इंकार

हाईकोर्ट ने एयर इंडिया कैप्टन के खिलाफ दर्ज मामला रद्द करने से किया इंकार

Bhaskar Hindi
Update: 2021-01-28 20:23 GMT
हाईकोर्ट ने एयर इंडिया कैप्टन के खिलाफ दर्ज मामला रद्द करने से किया इंकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बांबे हाईकोर्ट ने बिना मास्क पहने अपने संस्थान के दूसरे कर्मचारी के साथ अशोभनीय भाषा में बातचीत करनेवाले एयर इडिया के एक कैप्टन के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने से इंकार कर दिया है। शिकायत पर गौर करने के बाद कोर्ट ने पाया कि आरोपी जब शिकायतकर्ता से बात कर रहा था तो उसके मुंह से थूक की बूंदे शिकायतकर्ता के चेहरे पर पड़ रही थी। 

कोरोना के चलते शिकायतकर्ता ने आरोपी को दूर रहकर शांति से बात करने को कहा किंतु आरोपी दूर जाने के बजाय शिकायतकर्ता से गाली गलोच करने लगा। जबकि शिकायतकर्ता ने कहा कि वह कोरोना के मद्देनजर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की ओर से जारी दिशा-निर्देशों का पालन कर रहा है। यदि उसे उसके कार्य से कोई आपत्ति है तो वह वरिष्ठ अधिकारी से बात कर सकता है। इसके बावजूद आरोपी नहीं माना। इसके बाद इस मामले को लेकर 3 जुलाई 2021 को एयरपोर्ट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 269 (जीवन के लिए घातक बीमारी का प्रसार करना), 323, 319, 504 व 506 के तहत मामला दर्ज किया गया। जिसे रद्द किए जाने की मांग को लेकर एयर इंडिया के कैप्टन ने कोर्ट में याचिका दायर की थी। 

न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व न्यायमूर्ति मनीष पीटले की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान आरोपी के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ विभागीय जांच के बाद  कार्रवाई की जा चुकी है। शिकायतकर्ता ने निजी दुश्मनी के चलते उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया गया है। मामले को लेकर देरी से शिकायत दर्ज की गई है। इसके अलावा मेरे मुवक्किल की कोविड की जांच रिपोर्ट नकारात्मक है। इसलिए 269 के तहत मामला नहीं बनाता। इसके अलावा याचिकाकर्ता के एयरपोर्ट पर आने जाने पर कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया और मामले में दर्ज की गई एफआईआर का समर्थन किया। खंडपीठ ने मामले से जुड़े सभी पहलूओं पर कहा कि मामले से जुड़े सबूत व जांच के दौरान पुलिस की ओर से दर्ज किए गए गवाहों के बयान एफआईआर में लगाए गए आरोपों का समर्थन करते हैं।  इसके अलावा आरोपी पर जिन धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, उनमें प्रथम दृष्टया अपराध के घटक नजर आते हैं। इसलिए आरोपी की याचिका को खारिज किया जाता है।

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