चुनावी कामकाज से बचना आसान नहीं, हाईकोर्ट ने कहा कॉलेज शिक्षकों को करने ही होंगे चुनावी कार्य

चुनावी कामकाज से बचना आसान नहीं, हाईकोर्ट ने कहा कॉलेज शिक्षकों को करने ही होंगे चुनावी कार्य

Anita Peddulwar
Update: 2019-04-05 08:49 GMT
चुनावी कामकाज से बचना आसान नहीं, हाईकोर्ट ने कहा कॉलेज शिक्षकों को करने ही होंगे चुनावी कार्य
हाईलाइट
  • नागपुर विश्वविद्यालय और अमरावती विश्वविद्यालयों ने 10
  • 11 और 12 अप्रैल की अपनी परीक्षाएं स्थगित कर दी है
  • लोकसभा चुनावों में ड्यूटी लगाने का विरोध करने वाली कॉलेज शिक्षकों की तीन याचिकाएं खारिज कर दी हैं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। चुनावी कामकाज से पल्ला झाड़ने के लिए शिक्षक तरह-तरह के फंडे अपना रहे हैं। चुनावी कामकाज से बच पाना इतना आसान नहीं है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने लोकसभा चुनावों में ड्यूटी लगाने का विरोध करने वाली कॉलेज शिक्षकों की तीन याचिकाएं खारिज कर दी। दरअसल, शिक्षकों ने ग्रीष्मकालीन परीक्षाओं का हवाला देते चुनावी ड्यूटी का विरोध किया था, लेकिन नागपुर विश्वविद्यालय और अमरावती विश्वविद्यालयों ने 10, 11 और 12 अप्रैल की अपनी परीक्षाएं स्थगित कर दी है। ऐसी स्थिति में कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि शिक्षकों को ये चुनावी कामकाज करने ही होंगे। न करने पर शिक्षकों पर संबंधित प्रशासन कार्रवाई कर सकता है। 

 19 शिक्षकों की याचिका खारिज

हाईकोर्ट में  एसएस जयस्वाल कॉलेज अर्जुनी-मोरगांव के प्रदीप भानसे व अन्य 19 शिक्षकों ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की थी। इसी तरह चंद्रपुर जिले के वरोरा स्थित आनंद निकेतन कॉलेज के शिक्षकों ने भी एक स्वतंत्र याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अनुसार, 10 मार्च को निर्वाचन आयोग द्वारा देश में लोकसभा चुनावों की घोषणा की गई। अब चुनावों से जुड़े कामकाज के लिए शिक्षकों की नियुक्ति की गई है।

उन्हें प्रिसाइडिंग ऑफिसर, रिटर्निंग ऑफिसर व अन्य जिम्मेदारियां मिली हैं, लेकिन चुनाव का टाइमटेबल राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय की परीक्षाओं के टाइमटेबल से ओवरलैप हो रहा है। उन्हें बी.ए, बी.कॉम और बीसीए की परीक्षाओं से जुड़े कामकाज की भी जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में वे परीक्षा के साथ ही चुनावों की ड्यूटी करने में असमर्थ हैं। लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिकाएं खारिज कर दी। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.ए.आई.शेख, एड. प्रदीप वाठोरे, केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से एड. नीरजा चौबे, राज्य चुनाव आयोग की ओर से एड. जेमिनी कासट ने पक्ष रखा।

उल्लेखनीय है कि अनेक सरकारी कर्मचारियों ने भी चुनावी कामकाज से बचने के लिए अर्जी दे रखी है। कोई अपनी बीमारी का कारण बता रहा है तो कोई माता-पिता की बीमारी का कारण बताकर बचने काी कोशिश कर रहा है।

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