अकोट तहसील में हिमाचल के सेब की पैदावार

एदलापुर के किसान का कमाल अकोट तहसील में हिमाचल के सेब की पैदावार

Anita Peddulwar
Update: 2023-01-24 15:12 GMT
अकोट तहसील में हिमाचल के सेब की पैदावार

डिजिटल डेस्क, अकोट। भारत के साथ-साथ दुनियाभर में हिमाचल प्रदेश के सेब काफी पंसद किये जाते हैं. देशभर में यहां के सेब की काफी डिमांड रहती है। इस हिमाचल वाले सेब की खेती अब अकोट तहसील में होगी, क्या इस बात पर विश्वास होता है। लेकिन यह शतप्रतिशत सच है। अकोट तहसील के एदलापुर में एक किसान ने बिलकुल नया प्रयोग करते हुए  नई तकनीक और उन्नत किस्मों के दम पर सेब की खेती  कर  कमाल कर दिखाया है। हम बात कर रहे हैं एदलापुर के किसान नवनीत घनश्याम चांडक की।  इस किसान ने अमरूद, सीताफल, संत्रा, हापूस आम के साथ साथ सेब की खेती कर इस खेती से अच्छा  मुनाफा कमाने की उम्मीद भी रखी है। केवल अकोट ही नहीं बल्कि अकोला जिले के सभी किसानों के लिए यह एक नयी दिशा मानी जा रही है।

किसान नवनीत चांडक ने अपने खेत में अब तक कपास, सोयाबीन, तूर, चना, गेहूं, ज्वारी का उत्पादन लिया है। लेकिन अब कुछ नया कर गुजरने की ख्वाईश रखते हुए उन्होने हिमाचल के प्रसिध्द सेब का उत्पादन लेने की नई पहल की है। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के कांगरा रोपवाटिका में से  सफरचंद  पौधे लाए है। उन्होंने एचआर ९९, अण्णा ९९, डोअर सेट गोल्ड इन तीन उन्नत किस्म के पौधे लाकर बो दिए। उन्होंने  दिसंबर के माह में  सेब की बागवानी की है। ड्रिप एरीकेशन प्रक्रिया से हर एक पौधे को तकरीबन दो लिटर पानी दस से बारा दिनों में देना पड़ता है। एक पेड़ का आयु बीस से पच्चीस साल की होती है। यह पेड़ तीन साल का होने तक उसके फुल तोड़ने पड़ते हैं तांकि पेड़ का मुख्य तना मोटा हो जाए। पेड़ की वृध्दि आसमान की ओर दिशा से हो इस के लिए पेड़ की टहनियों की भी काटना पड़ता है। इससे हर एक पेड़ की उंचाई 10 से 15 फीट तक होती है।  इस तहर तीन सालों के बाद पेड़ से उत्पादन शुरू होता है। जुलाई की माह में फल निकालन के लिए पूरी तरह से तैय्यार हो जाते हैं, ऐसी जानकारी किसान नवनीत चांडक ने दी है।  हिमाचल प्रदेश में तापमान ठंडा होता है। इसके विपरित अपने क्षेत्र में तापमान अधिक होता है। फिर भी ऐसे तापमान से सफरचंद के उत्पादन पर इसका  कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। बढ़ते तापमान से उलटा सफरचंद अधिक लाल व अधिक मीठा बनता है। प्रति एकड़ में दो लाख रूपए की लागत से 1400 पौधे लगाए जा सकते हैं। आंतरिक फसल न रही तो इस पौधों की वृध्दि अधिक तेजी से होती है, ऐसी जानकारी किसान नवनीत चांडक ने दी है।  

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