हिन्दी दिवस  : गूगल से लेकर फेसबुक, वाट्सएप और अन्य मीडिया मंचों पर भी हिन्दी का बोलबाला

हिन्दी दिवस  : गूगल से लेकर फेसबुक, वाट्सएप और अन्य मीडिया मंचों पर भी हिन्दी का बोलबाला

Anita Peddulwar
Update: 2020-09-14 06:44 GMT
हिन्दी दिवस  : गूगल से लेकर फेसबुक, वाट्सएप और अन्य मीडिया मंचों पर भी हिन्दी का बोलबाला

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  आज हिन्दी दिवस है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिन्दी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अनुरोध पर 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मान्यता दी गई। वक्त के साथ हिन्दी भाषा ने भी खुद को नए कलेवर में ढाला। कई बाहरी शब्दों को हिन्दी के शब्दों के रूप में ही गिना जाने लगा। गूगल से लेकर फेसबुक, वाट्सएप और अन्य मीडिया मंचों को भी हिन्दी खूब जंची और उन्होंने हिन्दी भाषा को अपने यहां मुख्य स्थान दिया। मौजूदा वक्त में हिन्दी भाषा की स्थिति और इसके विकास की जरूरत पर कर्मचारी राज्य बीमा निगम के वरिष्ठ अनुवाद अधिकारी डॉ.जय प्रकाश ने प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि देश के मुख्य न्यायाधीश ने बीते दिनों राजभाषा अधिनियम 1963 में संशोधन पर जोर दिया था। उनकी राय थी कि हमारे प्रशासनिक कामकाज में अंग्रेजी की जगह हिन्दी व अन्य भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता मिलनी चाहिए।

ऐसे बढ़ेगी हिंदी की प्रतिष्ठा
डॉ.जय प्रकाश भी इससे सहमत हैं। वे मानते हैं कि सरकारी कार्यालय अपने सर्कुलर, निर्देश, टेंडर, लाइसेंस यदि हिंदी और स्थानीय भाषा में प्रकाशित करें तो इससे हिंदी और अन्य स्थानीय भाषाओं का विकास होगा। वे नई शिक्षा नीति को हिंदी के लिए संजीवनी मानते हैं। उन्होंने कहा कि नई नीति में हिंदी और अन्य स्थानीय भाषाओं में शिक्षा के प्रावधान से हिंदी व अन्य भाषाओं का विकास होगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय जहां गूगल व अन्य टेक्नोलॉजी ने हिंदी को अपनाया है। यूनिकोड से हिंदी टाइपिंग व सर्चिंग आसान हो गई है। यह समय शिक्षा संस्थाओं में युवाओं के बीच हिंदी को और प्रचलित बनाने के लिए एकदम सटीक है। जरूरी बदलाव अमल में लाने से हिंदी की प्रतिष्ठा और सम्मान बढ़ाने में सफलता मिलेगी। 

हिंदुस्तान में ही हिन्दी मांग रही स्थान...
यह विडंबना ही है कि जिस देवनागरी लिपि को कम्प्यूटर के लिए आरंभ में उचित नहीं माना गया, वही देवनागरी लिपि बाद में कम्प्यूटर के लिए सबसे उत्तम व वैज्ञानिक लिपि सिद्ध हुई है। पूरे विश्व ने तो हिन्दी के महत्त्व को स्वीकार किया, लेकिन भारत में आजादी के इतने वर्षों बाद भी हिंदी अपना स्थान मांग रही है। 

Tags:    

Similar News