अगर ठगे गए तो बैंक देगा रकम, ग्राहकों की सुरक्षा के लिए RBI का निर्देश
अगर ठगे गए तो बैंक देगा रकम, ग्राहकों की सुरक्षा के लिए RBI का निर्देश
डिजिटल डेस्क, नागपुर। धीरे-धीरे लोग इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन को महत्व दे रहे हैं। इस प्रक्रिया से आर्थिक लेन-देन को सुगम करने का प्रयास हो रहा है। हालांकि इसके साथ ही देशभर के साथ ही उपराजधानी में भी ऑनलाइन ठगी की वारदातें बढ़ती जा रही हैं। ऑनलाइन ठगी में बैंक खाताधारक का डाटा हैक करने, एटीएम बदलने एवं कोड पूछकर खातों से रकम निकालने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। आश्चर्यजनक बात ये है कि बैंक एवं पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद अपराधियों का पता नहीं चल पाता है। इसी के चलते आम उपभोक्ता स्वयं को लुटा हुआ समझकर चुप बैठ जाते है अथवा बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के लगातार चक्कर लगाता रह जाता है। पिछले कई माह में एटीएम, डेबिट अथवा क्रेडिट कार्ड से रुपए निकालने की वारदातें सामने आ रही हैं।
कई मामलों में ग्राहकों को बगैर कोई जानकारी के भी ठगी का शिकार हो जाना पड़ता है। ग्राहकों के डेबिट और क्रेडिट कार्ड की डिटेल्स हासिल कर ठगी की जाती है। ठगी के शिकार की फरियाद को पुलिस और बैंक प्रशासन गंभीरता से नहीं लेता है। जांच के नाम पर लंबी प्रक्रिया के चलते पीड़ित की रकम मिलने की संभावना भी समाप्त होने लगती है। अकसर ऐसे मामलों में पीड़ित को आर्थिक क्षति सहन करनी पड़ती है, वहीं दूसरी ओर साइबर क्राइम को अंजाम देने वालों के हौंसले भी बुलंद हो जाते हैं, लेकिन अब RBI के नये नियमों से पीड़ित को रकम वापस मिल पाएगी। इसके साथ ही साइबर क्राइम करने को भी पकड़ा जा सकेगा।
आज का दौर सूचना तकनीक की है। अब बैंकिग प्रक्रिया को भी इससे जोड़ दिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन के चलते एटीएम, डेबिट अथवा क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल होने लगा है। लेकिन इसके साथ ही ठगी के खतरे भी बढ़ गए हैं। कई बार ग्राहकों से एटीएम नंबर, पिन नंबर पूछकर एवं डेटा हैक कर बैंक खातों से पैसा उड़ाने की घटनाएं हो चुकी हैं। ठगी के शिकार उपभोक्ता अभी तक यहां-वहां भटकते रहे हैं। लेकिन ऐसे बैंक उपभोक्ताओं के लिए अब अच्छी खबर आई है। अब ठगी व फर्जीवाड़े के शिकार खाताखारकों को 3 दिनों के भीतर शिकायत करने पर रकम बैंक द्वारा वापस लौटाई जाएगी।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपने नए सर्कुलर में ठगी के शिकार उपभोक्ताओं को खोई हुई रकम वापस देने के निर्देश जारी किए हैं। हालांकि इस प्रावधान को लागू होने के लिए फर्जीवाड़ा की प्रक्रिया में पासवर्ड समेत अन्य जानकारी ग्राहक की ओर से साझा नहीं होनी चाहिए। ग्राहक की ओर से ओटीपी की जानकारी देने पर होने वाली ठगी में बैंक की कोई भी जिम्मेदारी नहीं होगी।