शिवसेना ने जिद की तो खतरे में पड़ जाएगी सरकार - निरुपम

शिवसेना ने जिद की तो खतरे में पड़ जाएगी सरकार - निरुपम

Anita Peddulwar
Update: 2021-01-02 12:12 GMT
शिवसेना ने जिद की तो खतरे में पड़ जाएगी सरकार - निरुपम

डिजिटल डेस्क, मुंबई। औरंगाबाद शहर का नाम बदलने को लेकर शुरु हुई बयानबाजी में अब कांग्रेस के असंतुष्ट नेता पूर्व सांसद संजय निरुपम भी कूद पड़े हैं। निरुपम ने कहा है कि महाराष्ट्र की तीन दलों की सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर चल रही है। यदि शिवसेना ने औरंगाबाद के नामांतरण को लेकर जिद की तो यह सरकार खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने भले ही काशी-मथुरा में मंदिर तोड़े पर कांग्रेस औरंगाबाद का नाम बदलने के पक्ष में नहीं है। दूसरी ओर भाजपा ने इस मामले में शिवसेना पर दोगली राजनीति करने का आरोप लगाया है। 

औरंगाबाद मनपा चुनाव समीप है। इस लिए इस शहर का नाम बदलने को लेकर राजनीति शुरु हो गई है। राज्य व औरंगाबाद मनपा में सत्ताधारी शिवसेना औरंगाबाद का नाम "संभाजी नगर’ करना चाहती है जबकि राज्य की सत्ता में शामिल कांग्रेस इसके विरोध में हैं। इसको लेकर पिछले कई दिनों से बयानबाजी चल रही है। शनिवार को मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने कहा कि राज्य में तीन दलों की सरकार है। तीनों पार्टियां न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार कर सरकार चला रही हैं। ऐसे में यदि कोई घटक दल अपना एजेंडा लादने की कोशिश करेगा तो यह सरकार की सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि औरंगाबाद शहर का नाम बदलने को लेकर यदि शिवसेना ने ज्यादा जिद की तो यह सरकार के लिए खतरा बन सकता है।

औरंगजेब ने तोड़ा था काशी-मथुरा का मंदिर
निरुपम ने कहा कि यह ऐतिहासिक सच्चाई है कि 1669 में औरंगजेब ने काशी में बाबा विश्वनाथ का मंदिर और 1670 में मथुरा में कृष्ण भगवान का मंदिर तोड़वाया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी इस तरह के कदमों का समर्थन नहीं किया। संभाजी महाराज हमारे लिए भी आराध्य हैं। उनकी वीरता का कांग्रेस पार्टी भी सम्मान करती है पर हम शहरों का नाम बदलने की बजाय उसके विकास में विश्वास रखते हैं।

दोगली राजनीति कर रही शिवसेना  
प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता व विधायक राम कदम ने शिवसेना पर औरंगाबाद के नामांतरण के मुद्दे पर दोगली राजनीति करने का आरोप लगाया है। राम कदम ने कहा कि शिवसेना जब भाजपा के साथ सत्ता में थी तो औरंगाबाद का नामांतरण का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास नहीं भेजा जबकि औरंगाबाद मनपा में शिवसेना की सत्ता है। वह नामांतरण का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेज सकती थी। भाजपा विधायक ने कहा कि दरअसल औरंगाबाद के नामांतरण को लेकर शिवसेना-कांग्रेस की मिलीभगत है। इन दोनों दलों ने तय कर रखा है कि हम नामांतरण की बात करेंगे और तुम विरोध में रहना जिससे दोनों की राजनीति चलती रहे।  

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