पता है कि करीब है मौत, फिर भी 6 कैदी कर रहे हैं स्पेशल कोर्स

पता है कि करीब है मौत, फिर भी 6 कैदी कर रहे हैं स्पेशल कोर्स

Anita Peddulwar
Update: 2018-11-10 13:08 GMT
पता है कि करीब है मौत, फिर भी 6 कैदी कर रहे हैं स्पेशल कोर्स

डिजिटल डेस्क, नागपुर। भयंकर अपराधों में सजा काट रहे कैदी इसी क्षेत्र से जुड़े कोर्स में दाखिला लेकर अपना कॅरियर बना रहे हैं। यह सुनकर थोड़ा अजीब लगेगा, लेकिन सच है। नागपुर सेंट्रल जेल में बंद फांसी यार्ड के कैदियों ने ऐसे तमाम कोर्सेस में दाखिला लिया है। मकसद यही है कि इन्हें कहीं न कहीं बिजी रखा जाए। ये फांसी याफ्ता कैदी हैं, इन्हें फांसी यार्ड में रखा जाता है। लेकिन कहीं-कहीं ये उम्मीद बाकी है कि शायद फांसी न हो, इसी उम्मीद में ये फांसी की सजा याफ्ता कैदी IGNOU के कोर्स कर रहे हैं। वह अब पढ़ाई कर जरायम की दुनिया छोड़कर सामाजिक जीवन में वापस आना चाहते हैं। IGNOU के डायरेक्टर के अनुसार मकसद यही है कि वह कैदी अपनी रुचि के अनुसार कोर्स कर जेल से बाहर निकलने पर वह दोबारा से अपराध की दलदल में ना धंसे। वहीं उन्हें कहीं- कहीं उम्मीद भी है कि वे फांसी की सजा से बच सकें।

कम होता है स्ट्रेस
ये कोर्स इसलिए भी करवाए जाते हैं कि इससे स्ट्रेस कम होता है वहीं हो सकता है कि इन कैदियों की सजा लाइफ लांग सजा में कनवर्ट हो जाए। वहीं डिप्लोमा-डिग्री कर वह अपनी जिंदगी को सुधार कर नेक इंसान बन सकते हैं। फिलहाल जेल प्रशासन का ऐसे अपरािधयों की धारणा बदलने के लिए कोर्स शुरू किए हैं। उन्हें जेल में पॉजिटिव रूप में इतना व्यस्त रखा जाता है कि वह निगेटिव की तरफ ध्यान ही नहीं लगा पाए।
डॉ. पी. शिवस्वरूप, IGNOU रीजनल डायरेक्टर

कैदियों की मानसकिता बदलने का कर रहे प्रयास
जेल में आने वाले बंदी और कैदियों की सोच बदलने की तरफ ध्यान रहता है, ताकि इनमें पॉजीटिव एनर्जी बढ़े। जान बूझकर या गलती से किए गए अपराध की पुनरावृत्ति ना हो, इसलिए उनको एजुकेशन से जोड़ रहे हैं। उनके परिणाम भी बेहतर आ रहे हैं। इस बार विभिन्न कोर्सो में कैदियों ने रूचि दिखाई है।

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